Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:


Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:

☀️
–°C
Fetching location…

**दरकने लगा है रेत पर टिका सियासी महल**

**दरकने लगा है रेत पर टिका सियासी महल**

Share this:

निशिकांत ठाकुर

सात सितंबर 2022 को दक्षिण भारत के कन्याकुमारी से शुरू की गई ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’ का समापन 136 दिन के बाद 14 राज्यों का कामयाब सफर पूरा करने के साथ श्रीनगर में संपन्न हुआ था। उसके पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी को देश के समक्ष हिकारत की नजर से प्रस्तुत करते हुए ‘पप्पू’ है, ‘अज्ञानी’ है, ‘वंशवादी’ होने के कारण राजनीति में लॉन्च किया गया ‘सत्तालोलुप युवराज’ है, तक कहा जाता रहा। राहुल गांधी की यह ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’ इसी तरह थी, जैसे आंधी आने से पहले हवा का बहना बंद हो जाता है। कांग्रेस शांत थी और देश ने भी दबे मन से स्वीकार कर लिया था कि कांग्रेस अब एक निष्क्रिय पार्टी है। एक हद तक यह बात भी सच साबित होने लगी थी कि भारत कांग्रेसविहीन हो गई। लेकिन, वह ‘भारत जोड़ो पदयात्रा’, जो एक आंधी थी, उसने अपनी लपेट में लेकर कई बड़े—बड़े बरगदों को भी उखाड़ फेंक दिया। अब वही राहुल गांधी सौ सांसदों के साथ लोकसभा में नेता विपक्ष हैं। वास्तव में पहले यह सोचना तक मुश्किल हो गया था कि कांग्रेस पुनर्जीवित भी हो सकेगी और जनता के बीच से चुनकर संसद में पहुंच सकेगी, लेकिन उसी एक यात्रा ने सबकी सोच को बदल दिया और इस बात को झुठला दिया कि देश की जनता ने कांग्रेस को जमींदोज कर दिया है और भारत अब कांग्रेस मुक्त हो गया है।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस को सफलता उतनी नहीं मिली, जितनी उम्मीद कांग्रेस कर रही थी, पर वह मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है। क्योंकि, उन्हीं मुद्दों को लेकर आज देश मे बवाल मचा हुआ हैं कि विधानसभा चुनावों में भारी गड़बड़ी हुई है। इस गड़बड़ी का तथाकथित एटम बम फोड़ते हुए लोकसभा के नेता विपक्ष ने कर्नाटक विधानसभा के एक विधानसभा क्षेत्र के चुनाव का पोस्टमार्टम करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस दिया। राहुल गांधी ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबूत पेश करते हुए कहा कि वोटिंग में ढेरों हेराफेरी हुई है। चुनाव आयोग यदि इस आरोप को स्वीकार कर लेता, तो वह देश की वोटिंग पद्धति के संवैधानिक नियमों के उल्लंघन का जिम्मेदार बन सकता था। लिहाजा, अपना पक्ष तो उसे जनता के समक्ष रखना ही था। चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखते हुए कांग्रेस के प्रेस कॉन्फ्रेंस को सिरे से नकार दिया और कहा कि राहुल गांधी इसे प्रमाणित करने के लिए शपथपत्र दें। विवाद यहीं नहीं खत्म हुआ। राहुल गांधी ने कहा कि अभी चुनाव आयोग ने सरकार का पक्ष लेते हुए जो चुनाव कराया है, उसके जरिये वह केवल सत्तारूढ़ दल के प्रति अपनी विश्वसनीयता दिखाई है और इसलिए कांग्रेस बहुत जल्द इससे भी बड़ा बम विस्फोट करने वाला हैं। अब आगे देखना है कि संविधान की रक्षा करने में किसका पलड़ा भारी पड़ता है, चुनाव आयोग का या कांग्रेस नेता राहुल गांधी का।

उधर, सत्तारूढ़ भाजपा  दल की ओर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 13 अगस्त, 2025 को रायबरेली, वायनाड, डायमंड हार्बर और कन्नौज संसदीय सीटों पर मतदाता पंजीकरण में अनियमितताओं का आरोप लगाया और मांग की कि संबंधित प्रतिनिधि, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अभिषेक बनर्जी और अखिलेश यादव लोकसभा सांसद के रूप में इस्तीफा दें। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ की और इसलिए इन स्थानों पर चुनावों में उसे जीत मिली थी। लेकिन, देश इसको स्वीकार नहीं कर रहा है और जनता यह कह रही है कि अब तक जो चुनाव कराए गए, वे सब फर्जी मतदाताओं द्वारा ही कराए गए। यदि यह सच है तो यह एनडीए सरकार के नेतृत्व में हुआ चुनाव था। अतः अब तक जो भी सरकार बनी, सभी फर्जी थीं? खैर… आगे बिहार विधानसभा का महत्वपूर्ण चुनाव है इसलिए नेतागण अपना अपना तर्क देंगे,  एक-दूसरे पर आरोप–प्रत्यारोप तो लगाएंगे ही, लेकिन यथार्थ का निर्णय तो जनता ही लेती है। ऐसा इसलिए कि भारत में मजबूत लोकतांत्रिक संविधान है, इसलिए जनता को ही यह अधिकार प्राप्त है और आगे भी प्राप्त रहेगा।

अब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए यथार्थ का विश्लेषण करते हैं। बिहार में भले ही भयंकर बेरोजगारी है,  पलायन के लिए मजबूर हैं, प्रदेश घोर गरीबी से दो—चार कर रहा है, लेकिन इस बात में दो राय नहीं कि वहां के लोग राजनीतिक रूप से बेहद जागरूक हैं। इसलिए अब वहां के विधानसभा चुनाव में किसी दल या संगठन विशेष के लिए सार्वभौम जीत हासिल करना बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसलिए वहां होने जा रहे चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए सभी दल प्रचार में व्यस्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा बार–बार हो रहा है, अन्य केंद्रीय मंत्रियों की तो बात ही अलग है। अबतक बिहार में कई केंद्रीय मंत्रियों के दौरे हो चुके हैं और चुनाव होने तक होते ही रहेंगे। लेकिन, इस बार चुनाव में किसी एक दल का सफल होना बहुत मुश्किल है। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा एक विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया गया, जिनमें चुनाव आयोग द्वारा 65 लाख मतदाताओं को फर्जी या मृत बताया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें अदालत ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह उन 65 लाख मतदाताओं की सूची जारी करे, जो ड्राफ़्ट लिस्ट में शामिल नहीं किए गए हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा है कि यह जानकारी बूथवार होगी, जिसे हर मतदाता के ईपीआईसी नंबर से खोजा जा सकेगा। अदालत ने चुनाव आयोग को यह सूची 19 अगस्त शाम पांच बजे तक प्रकाशित करने का आदेश दिया था। पिछले बीस वर्षों से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री कई बार एक पार्टी से दूसरी पार्टी में जाते आते रहें है, लेकिन वह किस्मत के बेहद धनी हैं, तभी तो हर बार मुख्यमंत्री वही बने रहे। ज्ञात हो कि जेपी आंदोलन से निकले युवा छात्रनेता के रूप में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और वर्तमान नीतीश कुमार देश के दिग्गज नेताओं में  गिने जाते रहे हैं।

अब दो उभरते नेता के रूप में पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और चिराग पासवान लगभग साथ माने जा रहे हैं। कुल मिलाकर यदि बिहार की जनता की समीक्षा को मानें, तो इन सभी दलों का मुकाबला राजद और कांग्रेस, यानी महागठबंधन के बीच होने जा रहे है। पिछले चुनाव में विपक्ष के प्रखर नेता के रूप में तेजस्वी यादव निकले, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें विपक्ष में नहीं, बल्कि अपने साथ सरकार में शामिल करके उपमुख्यमंत्री बना दिया था। लेकिन, मुख्यमंत्री ने फिर पलटी मारी और उन्हें बाहर बैठा कर एनडीए से समझौता करके सरकार बना ली। नीतीश की इस पलटी के कारण जनता ने खुद को ठगा महसूस किया और अब राजद और कांग्रेस ने कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया है। अब बिहार में राहुल गांधी की तेजस्वी के साथ इंट्री होती है, जिसे बिहार के ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति में आंधी कहा जा रहा है। राहुल गांधी अब जन-जागरूकता के उद्देश्य से तेजस्वी यादव के साथ 16 दिनों में 25 जिलों की यात्रा करेंगे, जो 1,300 किलोमीटर की होगी। पिछले सप्ताह से शुरू की गई इस यात्रा के लिए बिहार में वर्षों से पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि राहुल गांधी की इस तूफानी बिहार यात्रा एक तरह से कांग्रेस को संजीवनी बूटी दे रही है। वर्षों से निष्क्रिय कांग्रेसियों को राहुल गांधी ने पुनर्जीवित कर दिया है। कई पत्रकार  उदाहरण देते हुए कहते हैं कि 65 लाख मतदाता, जिन्हें चुनाव आयोग ने मृत या गायब करार दिया था, को फिर से मतदान का अधिकार दिलाने वाले तो राहुल के साथ मजबूती से खड़े हो गए हैं और जो गति और उत्साह समाज और जनता के बीच मतदाताओं में देखा जा रहा है, उसने चुनावी हवा का रुख मोड़ दिया है। लेकिन, होगा तो वही, जो जनता चाहेगी। सरकार कब तक उन्हें गुमराह कर पाएगी, चुनाव आयोग कब तक उन्हें मतदान से वंचित रख पाएगा, वह भी इसी चुनाव में तय हो जाएगा ।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं)

Share this:

Latest Updates