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भारत-जर्मनी ने आपसी परामर्श व सहयोग को और मजबूत करने पर जताई सहमति

भारत-जर्मनी ने आपसी परामर्श व सहयोग को और मजबूत करने पर जताई सहमति

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New Delhi News: विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर ने बुधवार को जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। दोनों नेताओं ने सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों जैसे ग्रीन हाइड्रोजन और सेमीकंडटर पर चर्चा की। अमेरिका के टैरिफ युद्ध का सामना कर रहे भारत ने वार्ता में स्वायत्तता और बहुध्रुवीय विश्व के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि ऐसे में भारत और यूरोपीय संघ तथा भारत और जर्मनी का एक-दूसरे के साथ और अधिक निकटता से काम करना जरूरी है।
डॉ. जयशंकर और जर्मन नेता वाडेफुल के बीच दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई वार्ता में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने व्यापारिक संबंधों, तकनीकी सहयोग, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा तथा आपसी परामर्श एवं सहयोग को अधिक मजबूत करने पर सहमति जताई। बातचीत अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने पर केंद्रित रही। भारत और जर्मनी हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में सहयोग पर विचार कर रहे हैं। वार्ता में राजनीतिक सहयोग, सुरक्षा और रक्षा, आर्थिक संबंध, अनुसंधान और भविष्य की प्रौद्योगिकियां, जलवायु, ऊर्जा और शिक्षा, कौशल, गतिशीलता और लोगों के बीच आदान-प्रदान शामिल हैं। इसके अलावा वार्ता में यूक्रेन संघर्ष, मध्य पूर्व, हिंद-प्रशांत और वैश्विक अस्थिरता पर चर्चा हुई।
इसके बाद साझा दोनों नेताओं ने पत्रकार वार्ता की। वार्ता में विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने कहा कि दुनिया इस समय आर्थिक अस्थिरता और राजनीतिक अनिश्चितता जैसी दो बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है। हमारा मानना है कि यदि दुनिया बहुध्रुवीय रहे और देश रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए आपस में गहन संवाद और सहयोग करे, तो इन चुनौतियों का सबसे बेहतर समाधान निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि टैरिफ कम करने के लिए आपसी हित की बात है। आज के माहौल में ये और भी जरूरी हो गए हैं।
विदेश मंत्री ने वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत-युरोपीय संघ और भारत-जर्मनी के बीच निकटता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में जो बदलाव हम देख रहे हैं, वे हमारी नीतियों और विभिन्न देशों के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं। हम वैश्विक रणनीतिक परिदृश्य में भारी अस्थिरता के साथ बदलाव देख रहे हैं, जो भारत और यूरोपीय संघ तथा भारत और जर्मनी के लिए एक-दूसरे के साथ और अधिक निकटता से काम करने का एक सशक्त आधार प्रदान करता है।
विदेश मंत्री ने इस दौरान आशा व्यक्त की कि यूरोपीय संघ-भारत एफटीए शीघ्र ही संपन्न हो जाएगा। जयशंकर ने कहा कि यह हमारे आपसी हित में है कि हम टैरिफ कम करें और अपने व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के अन्य तरीके खोजें। आज के माहौल में ये प्रयास और भी जरूरी हो जाते हैं। हम चाहते हैं कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत का एक और दौर जल्द ही शुरू हो। हम चाहते हैं कि आने वाले दिनों में यह एक निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचे और हमारा मानना है कि यह हमारे आपसी हित में होगा। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद मिलेगी। जर्मनी के विदेश मंत्री वाडेफुल ने विदेश मंत्री जयशंकर को आश्वासन दिया कि जर्मनी भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए अपना पूरा समर्थन देगा।
जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के बारे में जर्मनी की समझ को सराहा तथा भारत के आत्मरक्षा के अधिकार के लिए वाडेफुल के स्पष्ट समर्थन की प्रशंसा की। जयशंकर ने कहा, ह्लआतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के संबंध में जर्मनी ने जो समझदारी दिखाई है, उसकी हम बहुत कद्र करते हैं। जर्मनी के विदेश मंत्री वाडेफुल ने खुद भी आतंकवादी हमलों से अपनी रक्षा करने के हमारे अधिकार के बारे में स्पष्ट रूप से बात की है। आॅपरेशन सिंदूर के बाद हमारे संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी गर्मजोशी से स्वागत किया गया था।ह्व
इसके अलावा जर्मन फोस्टर केयर में रह रही अरिहा शाह का मुद्दा भी वार्ता में उठा और विदेश मंत्री ने बच्ची के सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा के लिए समाधान का आग्रह किया। जयशंकर ने कहा, ह्लमैंने मंत्री को बताया कि यह आवश्यक है कि उसके (अरिहा शाह) सांस्कृतिक अधिकार सुनिश्चित किए जाएं और वह भारतीय परिवेश में बड़ी हो। इसलिए इस मामले को बिना किसी देरी के सुलझाया जाना चाहिए।ह्व
विदेश मंत्री ने कहा कि जलवायु और ऊर्जा के क्षेत्र में हम पिछले कुछ वर्षों से हरित एवं सतत विकास साझेदारी (हरित एवं सतत विकास साझेदारी) पर काम कर रहे हैं। इसके अंतर्गत नागपुर मेट्रो रेल, पांच राज्यों में हरित ऊर्जा गलियारे और कोच में एकीकृत जल परिवहन परियोजना शामिल हैं। सेमीकंडक्टर निर्माण क्षेत्र वास्तव में एक विशेष रूप से आशाजनक क्षेत्र के रूप में उभरा है। हम जर्मन निवेश और जीसीसी तथा जर्मनी की अपनी बढ़ती क्षमताओं में भारतीय प्रतिभा का स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि जर्मनी द्वारा विकसित प्रतिभा तैयारी और प्रवाह का मॉडल विशेष रूप से प्रभावी रहा है। हमने अभी-अभी अपने वैज्ञानिक सहयोग के 50 वर्ष पूरे किए हैं। इसे और प्रगाढ़ बनाना और इसे उद्योग से जोड़ना, वह कार्य है जो हमने अपने लिए निर्धारित किया है। हमारे साइबर और डिजिटल संवाद भी महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को सक्रिय रूप से तलाशना होगा।

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