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रेलवे आपदा प्रतिक्रिया और “गोल्डन आवर” तत्परता को सशक्त करने हेतु आरपीएफ, एनडीआरएफ और आईआरआईडीएम ने किया समझौता

रेलवे आपदा प्रतिक्रिया और “गोल्डन आवर” तत्परता को सशक्त करने हेतु आरपीएफ, एनडीआरएफ और आईआरआईडीएम ने किया समझौता

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New Delhi : आज नयी दिल्ली स्थित रेल भवन के रेलवे बोर्ड के पंचवटी कॉन्फ्रेंस कक्ष में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और भारतीय रेलवे आपदा प्रबंधन संस्थान (आईआरआईडीएम), बेंगलुरु के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये।
यह समझौता आरपीएफ की ओर से श्री बी. वी. राव, महानिरीक्षक (प्रशिक्षण); एनडीआरएफ की ओर से नरेन्द्र सिंह बुंदेला, महानिरीक्षक; तथा आईआरआईडीएम की ओर से निदेशक श्री श्रीनिवास द्वारा किया गया। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक) आर. राजगोपाल; महानिदेशक (मानव संसाधन) अरुणा नायर; महानिदेशक (एनडीआरएफ) पीयूष आनंद; महानिदेशक (आरपीएफ) सोनाली मिश्रा और एनडीआरएफ व आरपीएफ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यह साझेदारी रेलवे दुर्घटनाओं के दौरान एकीकृत राहत अभियानों और क्षमता निर्माण के लिए स्पष्ट संस्थागत ढांचा स्थापित करती है, जिसमें “गोल्डन आवर” यानी दुर्घटना के बाद का महत्वपूर्ण पहला घंटा – जब जीवन बचाने के अवसर सर्वाधिक होते हैं – पर विशेष बल दिया गया है।
आरपीएफ की महानिदेशक सोनाली मिश्रा ने कहा कि सभी हितधारकों के बीच प्रभावी सहयोग और समन्वय आवश्यक है तथा इस संदर्भ में मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs) तैयार की जानी चाहिए।
अपने सम्बोधन में रेलवे बोर्ड के सदस्य (ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक) आर. राजगोपाल ने कहा कि मानवजनित आपदाओं के साथ-साथ चक्रवात, भारी वर्षा और हीटवेव जैसी प्राकृतिक आपदाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने JR RPF अकादमी और IRIDM की क्षमता निर्माण से जुड़ी पहलों की सराहना की, विशेषकर “गोल्डन आवर” पर केन्द्रित बचाव व राहत कार्यों के लिए।
NDRF के महानिदेशक पीयूष आनंद ने अपने सम्बोधन में कहा कि आपदा प्रबंधन में शामिल सभी एजेंसियों को एक टीम के रूप में कार्य करना चाहिए। रेलवे की अन्य एजेंसियों को भी क्षमता निर्माण के प्रयासों में शामिल किया जाना चाहिए।
यह सहयोग एक विस्तारणीय और दोहराने योग्य व्यवस्था को सक्रिय करता है जो राष्ट्रीय रेलवे आपदा तैयारी को सुदृढ़ बनायेगा – यात्रियों और कर्मचारियों को तेज़, सुरक्षित और समन्वित राहत प्रदान करेगा, जब हर मिनट कीमती होता है।

मुख्य विशेषताएं

“गोल्डन आवर” बचाव पर मुख्य ध्यान: हर ड्रिल और प्रोटोकॉल का उद्देश्य महत्वपूर्ण मिनटों की बचत कर तेज़ पहुँच, प्राथमिक चिकित्सा और कोचों से निकासी सुनिश्चित करना है।

रेलवे-विशिष्ट प्रथम प्रतिक्रिया : आरपीएफ को कोच और ट्रैक से संबंधित, विशेषकर संकुचित स्थानों में बचाव कार्यों की दक्षता विकसित करनी होगी ताकि घटना स्थल पर पहली कार्रवाई ही सही दिशा में हो।

मानक और साझा कोच-निकासी SOPs: आईआरआईडीएम प्रवेश अनुक्रम, स्थिरीकरण, कटिंग प्लान, रोगी पैकेजिंग और हस्तांतरण की प्रक्रियाओं का एकीकरण करेगा।

डिज़ाइन द्वारा इंटरऑपरेबिलिटी: सामान्य रेडियो शिष्टाचार, साझा चेकलिस्ट और संयुक्त ड्रिल्स के माध्यम से सभी एजेंसियाँ एक एकीकृत इकाई के रूप में कार्य करेंगी।

तीन-स्तरीय प्रगतिशील प्रशिक्षण कार्यक्रम

मॉड्यूल A : JRRPFA में आधारभूत प्रशिक्षण

मॉड्यूल B : नामित एनडीआरएफ बटालियनों में फील्ड संवेदनशीलता

मॉड्यूल C : आईआरआईडीएम में संयुक्त उन्नत सिमुलेशन-आधारित प्रशिक्षण

यह व्यवस्था दोहराने योग्य और मापनीय दक्षताओं को विकसित करेगी।

एमओयू में भूमिकाओं की स्पष्ट परिभाषा

जगजीवन राम आरपीएफ अकादमी (JRRPFA) को नोडल केंद्र के रूप में नामित किया गया है।
एनडीआरएफ बटालियन-स्तरीय संवेदनशीलता सत्र आयोजित करेगा और आईआरआईडीएम के संयुक्त पाठ्यक्रमों में भाग लेगा।
आईआरआईडीएम उन्नत, परिदृश्य-आधारित पाठ्यक्रमों का डिज़ाइन, अद्यतन और प्रलेखन करेगा।
यह ढांचा सभी ज़ोनल रेलवेज़ पर लागू किया जा सकता है और आने वाले वर्षों में समीक्षा और सतत सुधार के लिए संरचित है।

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