राजीव थेपड़ा
…और अब ऐसे-ऐसे परिधान, ऐसे-ऐसे गाउन दिखाई दे रहे हैं, जिनकी कसी हुई फिटिंग से न केवल एक महिला का एक-एक अंग उभर कर दिखाई देता है, बल्कि जिन्हें पहने हुए एक महिला की जांघे तक दिखाई देती हैं!!
कितनी सुन्दर तस्वीरें हैं ये !! कितनी प्यारी हैं वे महिलाएं, जिन्हें इस तरह के वस्त्र धारण करके न जाने कितने दैविक आनंद की प्राप्ति होती है और उससे भी ज्यादा दैविक आनंद की प्राप्ति उन्हें निरख रहे पुरुष दर्शकों को !!
इससे कुछ दिनों पूर्व जगह-जगह से फटी हुई जींस पहनने का प्रचलन आ ही चुका है और ऐसी जींस भी पहनी जा रही हैं, जिससे चड्डी तक दिखाई देती हो !! नाभी दिखाना तो खैर बिल्कुल आम बात है। फटी हुई और कसी हुई नाभि-दर्शना, कटि-दर्शना नितंब-दर्शना पुरुष दर्शकों के लिए बिना टिकट के देखे जानेवाले अपूर्व रूप से सुंदरतम दृश्य हैं, जिन्हें दिखा-दिखा कर ऐसी स्त्रियां न जाने कितने ही पुरुषों की दुआ प्राप्त करती होंगी !!
…और जींस के ऊपर बिल्कुल ढीला-ढाला एक ऐसा स्कर्ट, जिन्हें पहन कर बांहें ऊपर करने पर उनका बड़े ही सुन्दर ढंग से ऊपर उठ जाना और उससे भी सुन्दर और रहस्यमयी ढंग से स्त्री के वक्ष-स्थलों का भी दिख जाना; यह तो बिलकुल जैसे जगह-जगह पर आम बात हो चली है!
फ्रंट लो-कट, बैक लो-कट ब्लाउज तो स्त्रियां इतने चाव से सिलवाती हैं कि न केवल उन टेलरों का दिल गदगद हो जाता होगा, बल्कि उन पुरुषों की आत्मा भी तृप्त हो जाती होगी, जो न जाने कितने ही चाव से ऐसे दृश्यों को देखे जाने की कल्पना दिन-रात अपने मन में लिए रखते होंगे !…और, ऊपर से बिलकुल पेट के काफी नीचे और लगभग जांघों की लाइनों को रोमांचक तरीके से प्रकट करता हुआ पेटीकोट यह सुन्दरतम कल्पना जिन स्त्रियों की भी हैं, वे सचमुच इस धरती पर पूजी जाने योग्य हैं!!
सम्भवतः यह सब नाना-भांति के दृश्य प्राकृतिक दृश्यों से भी अपूर्व सुन्दर दृश्य है, जो पुरुष दर्शकों को न केवल रोमांचित करता होगा, बल्कि उन्हें जीते-जागते ही जन्नत की हूरें दिखाई देने लगती होंगी !!
बहुत सारी भारतीय महिलाओं में अपने शरीर के प्रत्येक अंग को दिखाने की प्रवृत्तियां इस कदर उछाल मार रही हैं कि कब वे पूरी तरह से निर्वस्त्र हो जायें, शायद इसका समाज इसी की प्रतीक्षा कर रहा है !!
आधुनिकता से ओत-प्रोत ये समस्त महिलाएं इस धरती के लिए किस प्रकार की देवियां हैं, यह भी एक बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न है, जिसका उत्तर हम जैसे पुरुषों को कभी नहीं सूझता, क्योंकि हम सदैव से बैकवर्ड क्लास के पिछड़े हुए पुरुष हैं !
…तो, हम जैसे पुरुष अपनी मानसिकता का क्या करें ? हम अपनी बहन बेटियों का क्या करें ? जो ऐसा करने के लिए उत्सुक हैं और इतनी बुरी तरह उत्सुक है कि हम उन्हें रोक भी नहीं पा रहे ! अंग प्रदर्शन के इस वीभत्स युग में हम अपनी लाज बचाने के लिए कहां जायें ! हमें यह समझ नहीं आ रहा !
जिनको यह पोस्ट अत्यन्त बुरी लगी, हो उन सबों से बहुत-बहुत क्षमा याचना के साथ।
यद्यपि मैं इस पोस्ट के लिए बिलकुल भी क्षमा-याचना के लिए उत्सुक नहीं हूं ! आप सबों का एक भाई, एक पिता या एक ऐसा रिश्तेदार, जो आपके लिए और अपने समाज की समस्त बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए सचमुच चिंतित है और अपने समाज की सभी बहन-बेटियों को अपनी ही बहन-बेटियों के समान ही समझता है !
पुनश्च: इस पोस्ट के लिए कोई चित्र मेरे मस्तिष्क को नहीं सूझ रहा ! क्योंकि, ऐसा कोई भी चित्र यहां पर साझा करूंगा, तो वह इस पोस्ट की प्रवृत्ति के विरुद्ध ही जायेगा।



