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आनंद सिंह की तीन चार पंक्तियां

आनंद सिंह की तीन चार पंक्तियां

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1

फकत रुठने और मनाने में,

खर्च होती जा रही है जिंदगी।

तुम्हारे मान जाने का मुझे,

कोई रास्ता अभी दिखता नहीं।

2

दागदार चंदा को देख कर,

मुंह पर क्रीम लगाने वालों।

दिल पर जो दाग लगा है,

उसे तुम कैसे छुड़ाओगे।

3

माना कि जिंदगी में दुश्वारियां हैं बहुत,

पर ये जो रंजोगम की स्याही पसरी है।

इसी से मीर, ‘मीर’ हो गए और गालिब ‘गालिब’,

जमाने से अभी उजियारा खत्म हुआ तो नहीं है।

मेरे बारे में

मैं आनंद हूं. लिखता-पढ़ता आनंद. पत्रकार आनंद. कवि आनंद. प्रयोगधर्मी आनंद. आनंद ही आनंद. पत्रकारिता में आनंद. साहित्य में आनंद.

फोनः7307071539

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