राजीव थेपड़ा
साथियों !! जीवन जीने का एक अहम पक्ष है हमारे जीवन में मिलनेवाली प्रसन्नता और प्रसन्नता को पाने का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है हमारा स्वभाव !!
हमारी इस भागा-दौड़ी और आपाधापी से भरे अपने व्यस्त जीवन में हम बहुधा अपनी त्रुटि पूर्ण दिनचर्या के कारण वैसे भी अपनी भागा-दौड़ी बहुत बढ़ा लेते हैं, देर रात्रि सोने और देर भोर उठने की हमारी आदतों ने हमारे जीवन को और ज्यादा क्लिष्ट बना दिया है! थोड़ा रुक कर सोचिये कि अब हम सबमें प्रत्येक क्षण एक तनाव क्यों व्याप्त रहता है ? …और, वैसे में हम अपने साथ जीते हुए लोगों को क्या अपना वही तनाव नहीं बांटते, प्रसन्नता बांटने की जगह ?
यह तो हुई आपाधापी के कारण निर्मित हो रहे तनाव की बात, लेकिन उसके अलावा एक बहुत महत्त्वपूर्ण बात यह है कि हम सब जीवन को जीते हुए प्राय: इतने गम्भीर होते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता कि हमारी कौन-सी गम्भीरता अनावश्यक है और किस सीमा तक यह गम्भीरता उचित है !! …और, इसके कारण भी हम अपने जीवन में वह आनन्द प्राप्त नहीं कर पाते, जिसके कि हम नैसर्गिक अधिकारी होते हैं !!
कुल मिला कर यह कि हम सबने अपने जीवन को हम सभी के आपस का एक व्यर्थ के संघर्ष का एक मैदान बना रखा है ! …और, तब यह जीवनचर्या हमारे जीवन में हमारी प्रसन्नता को बढ़ाने के लिए नहीं, अपितु हमारे तनाव को बढ़ाने की युक्ति अधिक दिखाई देती है ! …और, इसमें सबसे बड़ा सहायक होता है हमारा इस जीवनचर्या को जीने के लिए वर्षों वर्ष से पाला गया हमारा स्वभाव !! जो वर्षों वर्ष तक एक-सी आदतों को पाले रहने के चलते एक तरह की हठधर्मिता का शिकार बन जाता है। जिसे कहते हैं हम फिक्स माइंड सेट ! वही हो जाते हैं हम ! अपनी इन जीवनचर्या के कारण !
मैंने देखा है कि फ्लर्टिंग नेचर के लोग बहुत प्रसन्न और परिपूर्ण रहते हैं, सिवाय उनके कि, जो गम्भीर हुआ करते हैं, लेकिन समस्या यहां भी आन पड़ती है ! क्योंकि, मैंने यह भी देखा है कि बहुत सारे फ्लर्टिंग नेचर के लोग अपने फ्लर्टिंग नेचर के पश्चात भी अपने जीवन साथी अथवा अन्य साथियों या रिश्तेदारों या अपने कलीग्स की अनुचित प्रतिक्रिया के कारण भी दु:खी रहते हैं ! मैंने अपने जीवन में ऐसे बहुत सारे साथियों को पाया है, जिनकी समस्या ही यह है कि वह सुबह-शाम अवसर मिलते ही जब अपनी जीवन साथी के साथ फ्लर्ट करते हैं, तो उसके बदले में उन्हें अपने जीवन साथी की झिड़कियां मिलती हैं या फिर जीवन साथी का अपने ऊपर काम के दबाव का उलाहना !!
साथियों, मैं आज तक यह नहीं समझ पाया कि यह काम का दबाव क्या होता है ? किस काम के दबाव के कारण अपने जीवन साथी के साथ हम फ्लर्ट भी नहीं कर सकते, रोमांस नहीं कर सकते ?? …और, अगर ऐसा है भी, तो यह किस किस्म का काम है, जो हमें फ्लर्ट कर के रोमांचित नहीं होने देता या रिलैक्स नहीं होने देता ??
उसी प्रकार इसका उल्टा भी सच है, बहुत सारी पत्नियां जो फ्लर्टिंग नेचर की होती हैं, वे अपने पति के गम्भीर स्वभाव से परेशान रहती हैं, तो दोनों ही स्थितियों में यह देखा जाता है कि हम हमारे जीवनसाथी द्वारा जो आनन्द प्राप्त कर सकते थे, उनसे हम केवल इसीलिए वंचित रह गये कि हमने अपने आप को व्यर्थ के गम्भीर और अतिरिक्त कामकाजी माना हुआ है !!
साथियों ! जीवन में रोमांस का बहुत महत्त्व है और हमें किसी भी स्थिति में इसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि एक तो हमारे जीवन में ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं, जबकि हम अपने जीवन का आनन्द ले पाते हैं ! ऐसे में जब भी ऐसा कोई अवसर मिले कि हमारा जीवनसाथी हमें वह प्रसन्नता प्रदान करने की चेष्टा करे या अकारण भी रोमांचित करने की चेष्टा करे, जो हमारे साथ आनन्द बांट रहा हो, तो उसे हमें अपना साथ हर स्थिति में देना चाहिए ! क्योंकि, मैं मानता हूं कि हमारे जीवन में ऐसे अवसर सदैव अनमोल हैं, जिनसे हम पुनः ऊर्जावान होते हैं और अपने कार्यों को और भी अधिक तल्लीनता एवं सजगता और मिठास के साथ कर पाते हैं !
ध्यान रहे, इस आनन्द में, यानी आपके जीवनसाथी के फ्लर्टिंग नेचर में आप की भी प्रसन्नता छिपी हुई है !! इसलिए किसी भी एक व्यक्ति का फ्लर्ट भी दोहरे महत्त्व का साबित होता है ! क्योंकि भले ही रोमांस तो एक व्यक्ति करता है, लेकिन उसका आनन्द दोनों व्यक्तियों को मिलता है। ऐसे में अपने साथी को यदि उचित अथवा ठीक वैसा ही उत्तर दिया जाये, तो क्या इसका मजा दुगना और चौगुना नहीं हो जायेगा ??
इसलिए साथियों !! इन अवसरों के, इन चुलबुले क्षणों के महत्त्व को समझें और जीवन में जब कभी भी अवसर मिले, न केवल अपने जीवन साथी के फ्लर्ट की उचित प्रतिक्रिया दें, बल्कि स्वयं भी अपने नेचर को इस प्रकार का बनायें कि यदा-कदा अपने जीवन साथी के साथ अपनी समग्र उन्मुक्तता से फ्लर्ट/चैट आदि जो भी कुछ ऐसा बन पड़े, वह अवश्य करें !!
…और, यह केवल जीवनसाथी के साथ नहीं, बल्कि अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ, अपने मित्रों के साथ, अपने समस्त रिश्तेदारों के साथ, अन्य अपरिचितों के साथ तथा अपने जीवन में आनेवाले समस्त लोगों के साथ ऐसा ही व्यवहार न केवल हमें एक अद्भुत आभा प्रदान करता है, बल्कि हम सब के जीवन में एक अपूर्व आनन्द, एक अपूर्व प्रकाश, एक अपूर्व मिठास, एक अपूर्व लालिमा लाने में सक्षम होता है ! यदि मेरी इस बात पर विश्वास ना हो, तो आप स्वयं इसे कुछ दिनों तक करके, इसे परख कर देखिए। आपको अपने-आप यह समझ में आ जायेगा कि आपकी यह पहल कितने लोगों को आपके आसपास की सीमा में आनेवाले समस्त लोगों को कैसा आनन्द प्रदान करती है!
…और, ऐसा करके पहले तो आपके समक्ष आनेवाले लोग चकित होंगे और फिर स्वयं आप चकित हो जायेंगे कि उफ्फ! आपने इतने दिनों तक ऐसा क्यों नहीं किया? क्योंकि जीवन के कार्य अपनी जगह हैं। जीवन का आनन्द अपनी जगह है और दोनों की अपनी एक अलग महत्ता है ! इन दोनों की समान महत्ता को समझते हुए हमें अपने व्यवहार में लोगों के साथ सामंजस्य बनाने में एक उचित निर्वाह बरतने की आदत डाल लेनी चाहिए। क्योंकि हम सब एक-दूसरे से हैं ! हम सब एक-दूसरे के लिए हैं ! हम सब ही आनन्द हैं ! आनन्द हमारा स्वभाव है ! आनन्द हमारा अधिकार है ! इसलिए हम सब को आनन्द देने के अधिकारी हैं और यह हमारा दायित्व भी है ! मेरी यह राय जो व्यक्ति मान लेगा, तो वह अपने जीवन के समस्त संघर्षों के और समस्त दु:ख-दर्द अथवा पीड़ाओं के पश्चात भी अपनी अंतिम स्वांस तक आनन्दित रहेगा और प्रसन्नचित्त रहेगा !! …और, अन्य लोगों को भी अपनी उस प्रसन्नता से प्रसन्न करता मिलेगा ! इस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें, लेकिन उससे अधिक महत्त्वपूर्ण यह है कि इस पोस्ट में कही हुईं बातों को अपने जीवन में अवश्य ही लागू करें !!



