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अब देखिए कैसे इंटरनेट की दुनिया में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे भारत के कदम..

अब देखिए कैसे इंटरनेट की दुनिया में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ेंगे भारत के कदम..

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New Delhi news : कोई माने या न माने, आत्मनिर्भरता के बिना कोई देश अपने आत्मबल को सातवें आसमान तक नहीं पहुंचा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में उनके तीसरे कार्यकाल में भारत इस दिशा में इतनी तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है कि उनके विरोधी तो पस्त हुए जा रहे हैं। मोदी जी के आगे विपक्ष की शक्ति अस्त हुई जा रही है। चाहे स्वास्थ्य का क्षेत्र हो चाहे शिक्षा का चाहे टेलीकम्युनिकेशन का या डिफेंस का हर क्षेत्र में भारत में आत्मनिर्भरता की और सराहनीय कदम आगे बढ़ाई हैं अब यह जानकर गौरव हो रहा है कि इंटरनेट की दुनिया में भी भारत ने आत्मनिर्भरता के लिए कमर कस ली है।

मेड इन इंडिया ब्राउजर

मीडिया से मिल रही जानकारी के अनुसार अब इंटरनेट पर काम करने के लिए मेड इन इंडिया वेब ब्राउजर आपके लिए उपलब्ध होगा। इस ब्राउज़र के डेवलप होने का मतलब यह है कि अब गूगल और माइक्रोसॉफ्ट को हम टक्कर दे सकते हैं। सामान्य रूप से लोग यही जानते हैं कि दुनियाभर में गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट एज और मोजिला फायरफॉक्स जैसे ब्राउजर काफी यूज किया जाता है। अब मार्केट में मेड इन इंडिया ब्राउजर आने के बाद इस क्षेत्र में प्रतियोगिता बढ़ेगी।

इनको मिली वेब ब्राउज़र बनाने की जिम्मेदारी

बताया गया है कि मेड इन इंडिया ब्राउजर बनाने की जिम्मेदारी भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो कार्पोरेशन को मिला है। चंद दिन पहले केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने घोषणा की है। स्वदेशी वेब ब्राउजर डेवलप करने के उद्देश्य से ‘इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज’ नाम से एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें जोहो कार्पोरेशन ने फर्स्ट प्राइज जीता है। इसके लिए जोहो को 1 करोड़ रुपये का प्राइस मिला है। प्रतियोगिता में टीम पिंग दूसरे और टीम अजना तीसरे नंबर पर रही। टीम पिंग को 75 लाख  और टीम अजना को 50 लाख मिलेंगे। यह तीनों कंपनियां आगे चलकर इंडियन ब्राउजर का निर्माण करेंगी।

इस ब्राउजर की जानिए खासियत

इस ब्राउजर के आने से सरकार की निगरानी रहेगी और इसमें देश का डेटा देश में ही रहेगा।मेड इंडिया ब्राउजर डेटा प्राइवेसी एक्ट लागू होगा। इससे यूजर्स का डेटा भी सुरक्षित रहेगा। सभी डिवाइस जैसे कि iOS, विंडोज और एंड्राइड सभी ऑपरेटिंग सिस्टम पर करेगा। फोन के पुराने सॉफ्टवेयर और ऐप्स में कई सिक्योरिटी खामियां हो सकती हैं, जिनका फायदा साइबर अपराधी उठा सकते हैं। इसलिए अपने फोन के सॉफ्टवेयर और सभी ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करते रहें।

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