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आजकल चर्चा से बाहर रहकर भी खूब संतुष्ट हैं स्मृति ईरानी, आप भी जानिए सच्चाई…

आजकल चर्चा से बाहर रहकर भी खूब संतुष्ट हैं स्मृति ईरानी, आप भी जानिए सच्चाई…

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New Delhi news : भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए राष्ट्र ही सर्वोपरि है। अगर कोई उसका व्यक्ति इससे इतर जरा भी सोचे, तो वह राष्ट्र के लिए अहितकारी साबित हो जाता है। किसी भी पार्टी से, किसी भी संगठन से और किसी भी क्षेत्र से बीजेपी में आने वाला पुरुष या महिला अपनी व्यक्तिगत चाह खत्म कर देता/देती है, तब जाकर वह आगे बढ़ता है। आज के समय में देखें तो इसका एक बड़ा उदाहरण जानी-मानी एक्ट्रेस और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी हैं। अमेठी में 2024 में वह लोकसभा का चुनाव राहुल गांधी से हार गईं, तो एक प्रकार से पार्टी में नेपथ्य में चली गईं। उनके लिए अपने जीवन में यह बहुत बड़ी पीड़ा है, लेकिन उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में और उसके पहले अभिनय की दुनिया में जो हासिल किया है, उसे वह अत्यंत संतुष्ट हैं, यह उनकी बहुत बड़ी बात है।

हारने के बाद सोच में व्यापकता

याद कीजिए, साल 2014 में अमेठी में राहुल गांधी से चुनाव हारने के बाद भी नरेंद्र मोदी कैबिनेट में वह मंत्री थीं। 2019 में राहुल गांधी को अमेठी में हराने के बाद तो उनका कद और बढ़ गया। वह नरेंद्र मोदी कैबिनेट के दूसरे कार्यकाल में भी कद्दावर मंत्री रहीं। सदन के बाहर या सदन के भीतर उनका अंदाज आक्रामक हुआ करता था। लेकिन, 2024 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद उनका अंदाज एक अलग आयाम में सामने आया। जब संघ और भाजपा के कद्दावर लोग राहुल गांधी की जमकर आलोचना करते रहे और आज भी करते हैं, उस स्थिति में उन्होंने राहुल के प्रति आदर दिखाकर सबको चौंका दिया। इस भाव से ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव हारने के बाद नेता की सोच का दायरा बढ़ जाता है और वह सच्चाई को ज्यादा गहराई से समझने लगता है।

अब जीवन दूसरों के लिए

हाल ही में एक टीवी चैनल पर एक कॉन्क्लेव में बड़ी बेबाकी से स्मृति ईरानी ने स्वीकार किया कि उनके जीवन के सारे डाइट पूरे हो चुके हैं उनकी कोई आप शाह नहीं रह गई है और वह जीवन में बिल्कुल संतुष्ट हैं। इस कॉन्क्लेव में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से केवल महिला हस्तियों को बुलाया गया था। इसी में उन्होंने कहा, मैं किसी ग्रुप में नहीं हूं। मैं अकेली ही ग्रुप हूं। अगर आप किसी ग्रुप में हैं और आप पर प्रेशर रहता है, मैने ऐसे प्रेशर कभी देखे नहीं। मैं जिस संस्था से आई हूं, उसमें राष्ट्र सर्वोपरि है, राष्ट्र का उत्थान ही प्रेशर है। मैने जीवन में जो चाहा, वो मिल गया। अब जीवन जितना बाकी है, वो दूसरों के लिए है।

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