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वायु सेना प्रमुख ने रक्षा परियोजनाओं में लगातार देरी पर फिर जतायी गम्भीर चिन्ता

वायु सेना प्रमुख ने रक्षा परियोजनाओं में लगातार देरी पर फिर जतायी गम्भीर चिन्ता

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बदलते युद्ध स्वरूप पर हर दिन नयी तकनीक की खोज करना देश की जरूरत

New Delhi : वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने ‘आॅपरेशन सिन्दूर को ‘राष्ट्रीय विजय’ बताते हुए एक बार फिर रक्षा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी पर गम्भीर चिन्ता जतायी है। उन्होंने कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति ने हमें एहसास दिलाया है कि ‘आत्मनिर्भरता’ ही एकमात्र समाधान है, हमें अभी से भविष्य के लिए तैयार रहना होगा। नौसेना प्रमुख ने भी कहा कि युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। हर दिन हम नयी तकनीकें खोज रहे हैं। ‘आॅपरेशन सिन्दूर’ ने हमें यह स्पष्ट रूप से बताया है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और भविष्य में हमें क्या चाहिए।
वायु सेना और नौसेना के प्रमुख ने गुरुवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कई तरह की चिंताएं जतायीं। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने कहा कि एक ऐसा समय था, जब हमें भारतीय उद्योग पर हमेशा संदेह रहता था, इसलिए हम बाहर की ओर अधिक देखते थे। लेकिन, पिछले एक दशक से अधिक समय में चीजें काफी बदल गयी हैं। अब दुनिया की मौजूदा स्थिति ने हमें एहसास दिलाया है कि ‘आत्मनिर्भरता’ ही एकमात्र समाधान है, हमें अभी से भविष्य के लिए तैयार रहना होगा।
वायु सेना प्रमुख ने कहा कि समयसीमा एक बड़ा मुद्दा है। एक भी रक्षा परियोजना समय पर पूरी नहीं हुई है। इसलिए हमें इस पर गौर करना होगा। अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय हम ऐसा वादा क्यों करें, जो पूरा नहीं हो सकता?
अनुबंध पर हस्ताक्षर करते समय कभी-कभी हमें यकीन होता है कि यह पूरा नहीं होनेवाला है, लेकिन हम सिर्फ अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं। फिर प्रक्रिया खराब हो जाती है। उन्होंने रक्षा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी पर गम्भीर चिन्ता जताते हुए अवास्तविक समय सीमा के प्रणालीगत मुद्दे और परिचालन तत्परता पर उनके प्रभाव को उजागर किया। ‘आॅपरेशन सिन्दूर’ के बाद सशस्त्र बलों में बढ़ी ‘आत्मनिर्भरता’ का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें भारत में ही डिजाइनिंग और विकास कार्य शुरू करने की आवश्यकता है।
एयर चीफ ने आपरेशन सिंदूर को ‘राष्ट्रीय जीत’ के रूप में भी सराहते हुए इस आपरेशन की सफलता को सशस्त्र बलों, एजेंसियों और आतंकवाद से निपटने में प्रत्येक भारतीय नागरिक के सामूहिक प्रयासों का प्रमाण बताया। अपने संबोधन के दौरान एयर चीफ मार्शल ने बताया कि कैसे आॅपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों पर सटीक हमला किया गया था, जिसने उन्नत तकनीकों के एकीकरण के साथ युद्ध की उभरती प्रकृति को प्रदर्शित किया, जिससे भविष्य की रक्षा रणनीतियों के लिए एक स्पष्ट दिशा मिली।
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि हम कोई भी आॅपरेशन वायु शक्ति के बिना नहीं कर सकते हैं और इस ‘आॅपरेशन सिन्दूर’ के दौरान भी यह बहुत अच्छी तरह से साबित हुआ है। यह संघर्ष पूरे देश के दृष्टिकोण से जीता गया था। रक्षा बलों को सशक्त बनाने की बात करते समय भी यही दृष्टिकोण जारी रहना चाहिए। हमें अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि पंजाबी समुदाय के लोग ‘दसवंध’ नामक एक बात को समझेंगे कि हमारी कमाई का दस प्रतिशत समाज को वापस जाना चाहिए। मुझे लगता है कि हमें इस तरह की कोई पहल करनी चाहिए कि अगर मैं इतना कमा रहा हूं, तो कुछ पैसा आरएंडडी, राष्ट्र की रक्षा पर खर्च होना चाहिए।
इसी मंच से नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। हर दिन, हम नयी तकनीकें खोज रहे हैं। ‘आपरेशन सिन्दूर’ ने हमें यह स्पष्ट रूप से बताया है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और भविष्य में हमें क्या चाहिए। इसलिए अपनी स्वयं की विचार प्रक्रिया को पुन: संरेखित करने के लिए बहुत काम करने की आवश्यकता है, जो पहले से ही चल रही है। भविष्य में भी हम एक राष्ट्र के रूप में माल वितरित करने में सक्षम होंगे और हम अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) को निजी उद्योग की भागीदारी के लिए भी मंजूरी दे दी गयी है, जो एक बहुत बड़ा कदम है।’
उन्होंने कहा कि यह उस तरह का विश्वास है, जो आज देश को निजी उद्योग पर है। मुझे यकीन है कि इससे भविष्य में आने वाली बड़ी चीजों के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि युद्ध का चरित्र तेजी से बदला है और ऐसा होता रहेगा। सबसे पहले, युद्ध और शांति के बीच की रेखाएं तेजी से धुंधली होती जा रही हैं। हम यह भी जानते हैं कि आतंकी कृत्यों जैसे गैर-पारंपरिक खतरे व्यापक संघर्ष में बदल सकते हैं। बिना युद्ध विराम के संघर्ष छेड़ने के लिए अंतरिक्ष और साइबर डोमेन के साथ-साथ गैर-सम्पर्क युद्ध का उपयोग एक नयी वास्तविकता है।

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