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Bhagwat Katha : भगवान की भक्ति के लिए न जाति का बंधन है और न ही धर्म का बंधन है : पंडित रामदेव पाण्डेय 

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Ranchi Jharkhand news : भगवान की भक्ति के लिए न जाति बंधन है,  न धर्म और  पंथ- नारद, व्यास, सुत, शबरी, सदन कसाई, रसखान, रहीम, रजिया, फादर कामिल बुल्के, इसके प्रतीक रहे हैं। बरियातू स्थित रांची यूनिवर्सिटी काॅलोनी के श्री राम सह शनि मंदिर के प्रांगण में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित रामदेव पाण्डेय ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि भागवत की कथा मृत्यु को मंगलमय बनाने के लिए है। श्रीमद्भागवत सुखदेव जी के समक्ष यजमान परीक्षित की मृत्यु के लिए लगभग डेढ़ सौ घंटे शेष बचे थे, तो पहले सुखदेव ने कहा कि परीक्षित पहले इस शरीर में विराट पुरुष का चिन्तन करो और भागवत की कथा का रसास्वादन करो। यह भागवत कथा ऐसी रसायन है, जो कान में जाते ही मृत्यु को मंगलमय बना देगी। यही भक्ति देती है। भक्ति से भगवान की समतुल्यता भी मिलती है।

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