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बड़ा समझौता :  अब भारत में बनेगी यूरोपियन एयर टू एयर मिस्ट्रल मिसाइल

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रक्षा क्षेत्र में भारत ने बड़ा समझौता किया है। इससे भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम और आगे बढ़ गया है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड (बीडीएल) और यूरोपियन कंपनी एमबीडीए मिसाइल सिस्टम्स ने भारत में मिस्ट्रल एयर टू एयर मिसाइलों का निर्माण करने के लिए पेरिस में समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह फ्रांसीसी इन्फ्रारेड होमिंग मैन-पोर्टेबल एयर-डिफेंस सिस्टम है। इसे एमबीडीए ने निर्मित किया है। अब एमबीडीए के सहयोग से बीडीएल भारत में इस मिसाइल का निर्माण करेगी।

जमीन, पानी और हवा से की जा सकती है लांच

ट्रांसपोर्टेबल लाइटवेट एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल को मिस्ट्रल कहा जाता है। जमीन से हवा में कम दूरी तक मार करने के लिए 1974 में इसे पोर्टेबल मिसाइल के रूप में विकसित करने का प्रयास शुरू हुआ था। इसका पहला संस्करण (एस1) 1988 में, दूसरा (एम2) संस्करण 1997 में व तीसरा संस्करण 2019 में तैयार किया गया था। मिस्ट्रल छोटी दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली है।  इसका इस्तेमाल वाहनों, पानी के जहाजों और हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ पोर्टेबल कॉन्फ़िगरेशन में भी किया जा सकता है। इस मिसाइल को कंधे पर अथवा तिपाई पर रखकर भी दागा जा सकता है। इसे कमांडर और शूटर के रूप में चालक दल की एक जोड़ी के साथ संचालित किया जाता है। मिस्ट्रल मिसाइल को बख्तरबंद गाड़ियों, जहाजों या हेलीकॉप्टरों से भी लॉन्च किया जा सकता है। 

कई देशों की सेना कर रही इसका इस्तेमाल

बताते चलें कि मिस्ट्रल का उत्पादन 1989 में प्रारंभ हुआ और मौजूदा समय में ऑस्ट्रिया, ब्राजीलियाई मरीन कॉर्प्स, चिली, कोलंबिया, साइप्रस, ओमान, पाकिस्तान, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, स्पेन, इक्वाडोर, एस्टोनिया, फिनलैंड, फ्रांस, हंगरी, इंडोनेशिया, मोरक्को, न्यूजीलैंड, और वेनेजुएला सहित 25 देशों के 37 सशस्त्र बल इसका उपयोग कर रहे हैं। नॉर्वे ने यूक्रेन को रूस के साथ 2022 में संघर्ष शुरू होने पर मिस्ट्रल मिसाइलों का पूरा स्टॉक दान में दे दिया है। अब तक इसके लैंड सिस्टम, नेवल सिस्टम, एयरबोर्न सिस्टम और सबमरीन एयर डिफेंस सिस्टम विकसित किये जा चुके हैं।

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