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भारत के विरुद्ध बड़ा षड्यंत्र : पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के फर्जी फेसबुक अकाउंट के जरिए ‘जासूसी’ की जांच अब एनआईए को, हैकर्स ने भारत के रक्षा अधिकारियों से संपर्क किया

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पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के फर्जी फेसबुक अकाउंट के जरिये भारत के रक्षा अधिकारियों तक पहुंच बनाकर रक्षा डेटा चोरी करने के मामले की जांच एनआईए ने शुरू की है। हैकर्स फेसबुक पर एक फर्जी प्रोफाइल का इस्तेमाल कर रहे थे और एक निजी मैसेंजर चैट माध्यम से उनसे संपर्क किया। जांच में पता चला है कि यह अकाउंट शांति पटेल के नाम से बनाकर हैकर्स ने प्रतिबंधित डेटा तक सेंध लगाकर सिस्टम को हैक करने का प्रयास किया।

जासूसी एजेंसी आईएसआई ने बनाया था

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रक्षा डेटा चोरी करने के लिए उस फर्जी फेसबुक अकाउंट की जांच शुरू की है, जिसे पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई ने बनाया था। इस फर्जी खाते को बनाने के पीछे का उद्देश्य संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा जानकारी चुराने के लिए कंप्यूटर, फोन और रक्षा कर्मियों, रक्षा क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों और संबंधित विभागों के अन्य उपकरणों में मैलवेयर को दूर से इंजेक्ट करना था। जांच में पता चला है कि fb.com/shaanti.patel.89737 के रूप में पहचाना गया। यह खाता शांति पटेल के नाम से बनाया गया था। फर्जी फेसबुक अकाउंट के जरिये महिलाओं की आकर्षक तस्वीरों वाले फ़ोल्डरों के रूप में प्रदर्शित करके मैलवेयर फैलाया। अभी तक की जांच के अनुसार यह मैलवेयर इस्लामाबाद, पाकिस्तान में एक अज्ञात स्थान से प्रसारित किया गया था।

किस तरह का डेटा हासिल किया गया

दरअसल जून, 2020 में आंध्र प्रदेश पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू की थी और तब यह मुद्दा पहली बार न केवल फेसबुक, बल्कि अन्य एप के संबंध में भी सामने आया था। एनआईए ने आंध्र प्रदेश पुलिस की जांच के आधार पर संदिग्धों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा पर डेटा चोरी के निहितार्थ की जांच शुरू की है। केंद्रीय एजेंसी आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए), गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश के तहत मामले की जांच करेगी। अभी यह पता नहीं चल पाया है कि मैलवेयर के जरिए किस तरह का डेटा हासिल किया गया है।

एनआईए ने 2018-19 में भी जांच की थी

इससे पूर्व एनआईए ने 2018-19 में भी आईएसआई के एक जासूसी मामले की जांच की थी, जिसमें भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती के अलावा अन्य संवेदनशील जानकारी एकत्र करने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल किया गया था। विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसेना कमान के साथ ही अन्य रक्षा प्रतिष्ठान के नौसैन्य कर्मियों को हनी-ट्रैप करने के इस मामले में कम से कम 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद इन सभी पर जून, 2020 में आरोप तय किए गए थे। पिछले साल तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने कहा था कि वर्तमान परिदृश्य में सूचना सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

सेना ने सभी कमांडरों और सैनिकों को सोशल नेटवर्किंग एप हटाने का निर्देश दिया था

सेना ने 09 जुलाई, 2020 को सभी कमांडरों और सैनिकों को फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट सहित अपने स्मार्टफोन से 89 सोशल नेटवर्किंग, माइक्रोब्लॉगिंग और गेमिंग एप हटाने का निर्देश दिया था। आर्मी ने सख्त निर्देश दिए थे कि प्रतिबंधित साइट्स और सोशल मीडिया से अपना एकाउंट डिलीट करना होगा, सिर्फ डीएक्टिवेट करने से काम नहीं चलेगा। दरअसल, सेना से जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों या जवानों के सोशल मीडिया, साइट्स, नेटवर्किंग में सक्रिय रहने पर खुफिया जानकारियां लीक होने का खतरा बना रहता है। कई मामलों में खुफिया तंत्र ने अपनी सक्रियता से हनी ट्रैप में फंसने से पहले ही बचाया भी है और हनी ट्रैप में फंसने के तमाम मामले इससे पहले खुफिया एजेंसियों ने उजागर भी किए हैं।

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