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अब न सफर सुहाना और न मौसम हसीं, मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं होगा JDU, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किया कंफर्म

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Bihar politics : बिहार में लगभग एक महीने से चल रहा इंटरनल सियासी ड्रामा शायद अपने अंतिम अध्याय की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सियासी गलियारे में यह चर्चा तेज है कि लगभग 3 से 4 दिनों में पर्दा उठेगा और अंतिम अध्याय अपनी परिणति की छवि प्रस्तुत कर देगा। फिर भी कहीं से किसी दावे की बात खुलकर सामने नहीं आ रही है। जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के पार्टी से इस्तीफा देने के बाद वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने इशारों में बहुत कुछ कह दिया है, पर अभी उन इशारों के कुछ बिंदुओं को पढ़ना बाकी है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा कर दी है कि अब मोदी कैबिनेट में पार्टी का कोई सदस्य शामिल नहीं होगा। उन्होंने यहां तक याद दिलाया कि 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने को लेकर रुख स्पष्ट कर दिया था, लेकिन आरसीपी सिंह कैसे केंद्र में मंत्री बन गए, यह एक अनबुझ पहेली जैसी बात है। इस पहेली की परत-दर-परत को शायद नीतीश कुमार से बेहतर कोई और नहीं समझ सकता। हां, एक बात जरूर धीरे-धीरे स्पष्ट हो रही है कि बिहार में भाजपा और जदयू के बीच का सियासी सफर अब न पहले जैसा सुहाना रहा और न रिश्तों की बुनियाद का मौसम हसीं रहा। इस बीच बिहार की सियासत का सबसे बड़ा यही सवाल खड़ा है कि क्या जो 2015 के बाद अचानक हुआ था, वैसा ही 2020 के बाद तो कहीं नहीं होने जा रहा है।

‘कल किसने देखा है’

 भाजपा के साथ 2024 लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर ललन सिंह ने कहा, कि कल किसने देखा है। मालूम हो कि बिहार में एनडीए की साथी होने की वजह से बीजेपी ने केंद्र सरकार में जेडीयू को एक मंत्री पद दिया था। इसके तहत तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। हालांकि, आरसीपी सिंह के राज्यसभा से कार्यकाल खत्म होने के बाद जेडीयू से उन्हें फिर उच्च सदन नहीं भेजा गया। इसी वजह से आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से अपना इस्तीफा देना पड़ा था।

JDU डूबता हुआ नहीं, दौड़ता हुआ जहाज

जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि आरसीपी सिंह का तन जदयू में और मन कहीं और था। ललन सिंह ने आगे कहा कि देर-सबेर आरसीपी सिंह को इस पार्टी से जाना ही था। आरसीपी सिंह के जेडीयू को डूबता जहाज कहने पर उन्होंने कहा कि जदयू डूबता नहीं, दौड़ता जहाज है, आरसीपी को इसकी एबीसीडी भी नहीं पता है। आरसीपी जदयू के संघर्ष के नहीं, सत्ता के साथी हैं।

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