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🗓️ Sun, Apr 6, 2025 🕒 7:04 PM

लेड मानव जीवन व पर्यावरण के लिए खतरा :  डॉ. प्रेम कुमार

लेड मानव जीवन व पर्यावरण के लिए खतरा :  डॉ. प्रेम कुमार

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▪︎लेड की समस्या व समाधान को लेकर पटना में एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन

Patna News : प्योर अर्थ एवं स्टेनफोर्ड विश्वविधालय के में लेड एक्सपोज़र इम्पैक्ट एवं सॉलूशन को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन पनाश होटल गांधी मैदान में किया गया। कार्यक्रम का उद्धघाटन सहकारिता एवं जलवायु वन व पर्यावरण विभाग के मंत्री डॉ. प्रेम कुमार की अध्यक्षता में दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर मंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि लेड मानव जीवन व पर्यावरण के लिए खतरा है। इसे कम करने के लिए कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन, पर्यावरण व खाद्य प्रसंस्करण बिभाग को साथ मिल कर कार्य करने की जरूरत है एवं प्योर अर्थ और सहयोगी संस्था द्वारा कमिटी गठन के प्रस्ताव को जल्द से जल्द स्वीकृति दी जाये।

लेड की मात्रा खाद्य पदार्थ में अधिक होना खतरनाक

महावीर कैंसर संसथान के प्रोफेसर व हेड ऑफ डायरेक्टर डॉ. अशोक घोष ने कहा कि लेड की मात्रा खाद्य पदार्थ में अधिक होने के कारण कैंसर मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। यह गम्भीर चिन्ता का विषय है। राज्य सरकार को इसकी जांच के निमित्त गम्भीरतापूर्वक निर्णय लेना चाहिए।

प्योर अर्थ के कंट्री डायरेक्टर देबानजना चौधरी ने कहा कि बिहार को लेड मुक्त करने के लिए राज्य सरकार को इंटर डिपार्टमेंटल पैनल समिति बना कर सभी सहयोगी संस्थाओं के साथ मिल कर जमीनी स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।

 सुरेन्द्र रॉय, ओ.एस डी, स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा विभाग ने कहा कि प्योर अर्थ का लेड फ्री करने का प्रयास काफी सराहनीय है और सभी विभागों को मिल कर इंटर डिपार्टमेंटल पैनल समिति द्वारा इसके समाधान हेतु काम करने की जरूरत है।

एस. चंदरशेखर चीफ कंज़र्वेटर ऑफ़ फॉरेस्ट ने सम्बोधित करते हुए ये कहा कि यह विषय बहुत ही गम्भीर है और इस पर साथ मिल कर बिहार को लेड से बचने के लिए काम करना चाहिए।

आई.डी.यस.पी सेल, स्वास्थ्य विभाग की डॉक्टर रागिनी मिश्रा ने बताया कि प्योर अर्थ और सहयोगी संस्था स्टैनफोर्ड, वाइटल स्ट्रैटेजीस, महावीर कैंसर संस्था द्वारा जो भी अनुसन्धान लेड को लेकर अब तक हुई है, उसे जो इंटर डिपार्टमेंटल पैनल समिति द्वारा धरातल पर उतरा जाये, ताकि बिहार के सभी जिलों में कम से कम स्क्रीनिंग टेस्ट हो सके।

 अम्ब्रीश कुमार चन्दन वाइटल स्ट्रैटेजीस ने कहा कि बिहार में जो भी शोध लेड पर किये गये हैं, वे काफी चिन्ता का विषय हैं। इसलिए, सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं को साथ लेकर स्क्रीनिंग टेस्ट और लैब स्ट्रेंथनिंग पर काम करना चाहिए, जिसमें स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा विभाग की अहम भूमिका है।

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेना फोरसिथ ने हल्दी मिलावट के शोध एवं चिन्ताजनक स्थिति को विस्तारपूर्वक वीडियो के माध्यम से साझा किया और राज्य सरकार का इस मुद्दे के निमित्त आह्वान किया।

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