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भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन दुष्कर्म मामले में पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को दी चुनौती 

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने दुष्कर्म मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 अगस्त को शाहनवाज की याचिका खारिज करते हुए तत्काल दुष्कर्म की प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि तीन महीने में जांच पूरी करके सीआरपीसी की धारा 173 के तहत मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की जाए। शाहनवाज ने हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में दुष्कर्म की प्राथमिकी दर्ज करने के मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट और स्पेशल जज के आदेश को चुनौती दी थी।  

याचिका दायर कर जल्द सुनवाई का अनुरोध

भाजपा नेता की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए वकील ने जल्द सुनवाई का अनुरोध किया। कोर्ट ने मामले को अगले सप्ताह सुनवाई पर लगाए जाने का आश्वासन दिया। याचिका में दुष्कर्म के आरोपों को झूठा और गलत बताते हुए कहा गया है कि हाई कोर्ट और मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने इस पर गौर नहीं किया कि शिकायतकर्ता ने पहले भी उन्हें झूठा फंसाने का प्रयास किया था। इसमें वह सफल नहीं हुई थी। हाई कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देकर गलती की है। हाई कोर्ट ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि भाजपा नेता से प्रतिशोध लेने के लिए शिकायतकर्ता ने झूठी शिकायत की है। उसने शिकायत करने से पहले ही फेसबुक पर बदनाम करने वाली सामग्री भी पोस्ट की थी। कोर्ट ने इस पर भी गौर नहीं किया कि मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने इस मामले में पुलिस से रिपोर्ट मंगाई थी। पुलिस ने जांच करने के बाद आरोपों को सही नहीं पाया था।  

शाहनवाज के वकील ने कहा- पैसे के लिए महिला ने झूठा मामला दर्ज कराया है

एक महिला द्वारा दुष्कर्म के आरोप पर भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन के वकील विनीत मल्होत्रा ने गुरुवार को अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि महिला ने बड़ी रकम वसूलने की नीयत से झूठा और निराधार मामला दर्ज किया है। पुलिस ने दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट के मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर शाहनवाज के सुरक्षाकर्मियों का बयान दर्ज किया था। चश्मदीदों का बयान दर्ज करने के साथ काल डिटेल तथा सीसीटीवी फुटेज की जांच कराई। जांच के बाद सभी आरोपों को झूठा पाया गया। मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने पुलिस के साक्ष्यों को दरकिनार करते हुए शाहनवाज के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। शाहनवाज ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर चार साल तक रोक लगी रही। फिर 17 अगस्त को याचिका खारिज कर दी गई।   

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