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27 साल बाद दिल्ली में भाजपा को स्पष्ट बहुमत, केजरीवाल समेत कई दिग्गज हारे, केवल आतिशी बचा पायीं अपना विकेट

27 साल बाद दिल्ली में भाजपा को  स्पष्ट बहुमत, केजरीवाल समेत कई दिग्गज हारे, केवल आतिशी बचा पायीं अपना विकेट

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▪︎ कांग्रेस-आप गठबंधन होता, तो इंडिया गठबंधन 14 सीटें और जीत जाता

▪︎ भाजपा का वोट शेयर सात फीसदी, तो सीटें छह गुना बढ़ीं

▪︎ केजरीवाल, सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती हारे

New Delhi News: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गये हैं। यहां 27 साल बाद एक बार फिर भाजपा का कमल खिल उठा है। 48 सीटें जीत कर भाजपा ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। शनिवार की सुबह आठ बजे से ही वोटों की गिनती शुरू हो गयी। आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता चुनाव हार गये हैं। अरविंद केजरीवाल नयी दिल्ली सीट से हार गये हैं। मनीष सिसोदिया को भी जंगपुरा सीट से हार का सामना करना पड़ा है। वहीं, आतिशी कालकाजी सीट से चुनाव जीत गयी हैं। चुनाव परिणाम के आंकड़ों के अनुसार अगर दिल्ली में इंडिया गठबंधन होता, तो आम आदमी पार्टी के जीतने की सम्भावना बढ़ जाती। आप ने 14 सीटें कांग्रेस की वजह से हारी है।
राजधानी में 05 फरवरी को वोट डाले गये थे। राजधानी के 19 मतगणना केन्द्रों के लिए तीन स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गयी, जिसमें प्रत्येक केन्द्र पर दो अर्धसैनिक बलों की कम्पनियां तैनात की गयीं। बता दें कि नतीजों से पहले जारी हुए एग्जिट पोल्स में बताया गया था कि अबकी बार भाजपा के लिए दिल्ली दूर नहीं है। यानी एग्जिट पोल्स में भाजपा को बहुमत मिलता बताया गया था।

केजरीवाल की पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। अरविंद केजरीवाल ने अपनी हार स्वीकार ली है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में भाजपा की जीत को सुशासन और विकास की जीत करार दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा ने अपने वोट शेयर को काफी मजबूत किया है। उसे चुनाव में 45.97 फीसदी वोट मिले हैं। यह आंकड़ा पिछली बार से सात फीसदी ज्यादा है। इसके उलट आप को बड़ा नुकसान हुआ है। उसे अब तक 43.66 फीसदी वोट मिले हैं। पार्टी को पिछली बार के मुकाबले 11 फीसदी का नुकसान होता दिखाई दे रहा है। इन चुनावों में कांग्रेस को भी फायदा हुआ है, लेकिन सीटों के मामले में उसका खाता इस बार भी नहीं खुला। कांग्रेस को अब तक 6.40 फीसदी वोट मिले हैं। यह पिछली बार से करीब दो फीसदी ज्यादा है।

बसपा और माकपा को मिले नोटा से भी कम वोट

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजों के आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी के मतदाताओं ने दो राष्ट्रीय पार्टियों बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की तुलना में ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) के विकल्प को प्राथमिकता दी।

70 सीटों में से 68 पर भाजपा ने उतारे थे अपने उम्मीदवार 

दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों में से 68 पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि दो सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ी थीं। भाजपा-नीत राजग के घटक दल जदयू ने बुराड़ी सीट से शैलेन्द्र कुमार और लोजपा (रामविलास) ने देवली सीट से दीपक तंवर को मैदान में उतारा था, लेकिन दोनों उम्मीदवार चुनाव हार गये।

मुख्यमंत्री आतिशी और कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने बचा लीं अपनी सीटें, रमेश बिधूड़ी कालकाजी सीट हारे

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन, कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज, आप प्रवक्ता दुर्गेश पाठक, राखी बिड़लान और सोमनाथ भारती चुनाव हार गये हैं। वहीं, मुख्यमंत्री आतिशी और कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने अपनी सीट बचा ली है। भाजपा के प्रवेश साहिब सिंह, सतीश उपाध्याय, बिजेन्द्र गुप्ता, आम आदमी पार्टी से आए कैलाश गहलोत और अरविंदर सिंह लवली, कांग्रेस से आये राजकुमार चौहान, मोहन सिंह बिष्ट चुनाव जीत गये हैं। वहीं, रमेश बिधूड़ी कालकाजी सीट से हार गये हैं।

भाजपा ने इतने अंतर से जीतीं ये सीटें

नरेला से राज करन खत्री (8596), तिमारपुर से सूर्य प्रकाश खत्री (1168), आदर्श नगर से राज कुमार भाटिया (11482), बादली से अहिर दीपक चौधरी (15163), रिठाला से कुलवंत राणा (29616), बवाना से रविन्द्र इन्द्राज सिंह (31475), मुन्डका से गजेन्द्र दराल (10550), नांगलोई जाट से मनोज कुमार शौकीन (26,251), मंगोल पुरी से राज कुमार चौहान (6255), रोहिणी से विजेन्द्र गुप्ता (37816), शालीमार बाग से रेखा गुप्ता (29595), शकूर बस्ती से करनैल सिंह (20998), त्रिनगर से तिलक राम गुप्ता (15,896), वजीरपुर से पूनम शर्मा (11425), माडल टाउन से अशोक गोयल (13415), मोती नगर से हरीश खुराना (11657), मादीपुर से कैलाश गंगवाल (10899), राजौरी गार्डन से मनजिंदर सिंह सिरसा (18,190), हरि नगर से श्याम शर्मा (6632), जनकपुरी से आशीष सूद (18766), उत्तम नगर से पवन शर्मा (29,740), द्वारका से प्रद्युम्न सिंह राजपूत (7829), मटिआला से संदीप सहरावत (28,723), नजफगढ़ से नीलम पहलवान (29,009), बिजवासन से कैलाश गहलोत (11,276), पालम से कुलदीप सोलंकी (8952), राजिंदर नगर से उमंग बजाज (1231), नयी दिल्ली से प्रवेश साहिब सिंह (4089), जंगपुरा से तरविन्दर सिंह मारवाह (675), कस्तूरबा नगर से नीरज बैसोया (11048), मालवीय नगर से सतीश उपाध्याय (2131), आरके पुरम् से अनिल कुमार शर्मा (14,453), महरौली से गजेन्द्र सिंह यादव (1782), छतरपुर से करतार सिंह तंवर (6239), संगम विहार से चन्दन कुमार चौधरी (344), ग्रेटर कैलाश से शिखा रॉय (3188), त्रिलोकपुरी से रविकांत (392), पटपड़गंज से रविन्दर सिंह नेगी (रवि नेगी) (28072), लक्ष्मी नगर से अभय वर्मा (11,542), विश्वास नगर से ओम प्रकाश शर्मा (25,042), कृष्णा नगर से डा. अनिल गोयल (19,498), गांधीनगर से अरविन्दर सिंह लवली (12,748), शाहदरा से संजय गोयल (5178), रोहतास नगर से जितेन्द्र महाजन (27902), घोण्डा से अजय महावर (26,058), मुस्तफाबाद से मोहन सिंह बिष्ट (17,578), करावल नगर से कपिल मिश्रा (23,355)।

आआपा ने इतने अंतर से जीतीं ये सीटें 

किराड़ी से अनिल झा वत्स (21,871), सुल्तानपुर माजरा से मुकेश कुमार अहलावत (17,126), सदर बाजार से सोम दत्त (6307), चांदनी चौक से पुनरदीप सिंह साहनी (सैबी) (16572), मटिया महल से आले मोहम्मद इक़बाल (42,724), बल्लीमारान से इमरान हुसैन (29823), करोल बाग से विशेष रवि (7430), पटेल नगर से प्रवेश रत्न (4049), तिलक नगर से जरनैल सिंह (11656), दिल्ली छावनी से विरेन्द्र सिंह कादियान (2029), देवली से प्रेम चौहान (36680), अम्बेडकर नगर से डाॅ. अजय दत्त (4230), कालकाजी से आतिशी (3521), तुगलकाबाद से सहीराम (14711), बदरपुर से रामसिंह नेताजी (25,888), ऒखला से अमानतुल्लाह खान (23,639), कोण्डली से कुलदीप कुमार (6293), सीमापुरी से वीरसिंह धिंगान (10,368), सीलमपुर से चौधरी ज़ुबैर अहमद (42,477), बाबरपुर से गोपाल राय (18,994), गोकलपुर से सुरेन्द्र कुमार (8207) और बुराड़ी से संजीव झा (20601)।

1998 में भाजपा हो गयी थी सत्ता से बाहर

दिल्ली में 1993 में विधानसभा बनने के बाद पहले चुनाव में भाजपा जीती थी। लेकिन, 1998 में वह सत्ता से बाहर हो गयी। वर्ष 1998, 2003 एवं 2008 में दिल्ली में शीला दीक्षित की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी। 2013 के चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। 32 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ा दल बनी। उसके इनकार करने पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनायी। वह सरकार केवल 49 दिन चल पायी। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 67 और भाजपा को तीन और 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 62 और भाजपा को 08 सीटें मिलीं।

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