Bengaluru news: इंडियन एयरफोर्स को अगले साल के आखिर तक ब्रह्मोस एनजी (नेक्स्ट जनरेशन) मिल जाएगा। जिसे एयरफोर्स अपने सुखोई-30 फाइटर जेट में इस्तेमाल करेगी। ब्रह्मोस के डायरेक्टर जनरल जे.आर. जोशी ने कहा कि हम लखनऊ में एक और यूनिट बना रहे हैं और वहां से ब्रह्मोस मिसाइल का एनजी वर्जन डिलीवरी होगा। सुखोई-30 में एक ट्रायल भी हो गया है। उन्होंने कहा कि इस पर काम आखिरी दौर में है। यह एनजी वर्जन एयरफोर्स के पास अभी मौजूद ब्रह्मोस मिसाइल से 30 पर्सेंट छोटा है और पतला है। ये उसी मिसाइल की तरह घातक होगा।
एनजी वर्जन छोटा है, वजन में कम है
लेकिन साइज में कम होने की वजह से ज्यादा मिसाइल एक बार में एयरक्राफ्ट ले जा पाएगा। फाइटर जेट के विंग में भी इसे कैरी कर पाएंगे। दरअसल जब किसी जहाज में एक मिसाइल लेकर जाते हैं तो उस मिसाइल से टारगेट को हिट करने की जो संभावना होगी, वह संभावना ज्यादा मिसाइल होने की स्थिति में बढ़ जाएगी। एनजी वर्जन छोटा है, वजन में कम है तो एक साथ ज्यादा मिसाइल ले जा सकते हैं और उन मिसाइल को अलग अलग टारगेट पर एक साथ लॉन्च कर सकते हैं।
टारगेट हिट करने की क्षमता बढ़ेगी
एनजी वर्जन से कई टारगेट हिट करने की क्षमता बढ़ेगी और यह डिफेंस फोर्सेस के लिए फोर्स मल्टिप्लायर का काम करेगी। ब्रह्मोस डीजी ने कहा कहा कि 2026 के आखिर तक सभी ट्रायल पूरे करके हम इसे एयरफोर्स को दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यूज कर ट्रायल के नंबर कम कर सकते हैं। लेकिन कुछ तय नंबर तक ट्रायल करने होंगे ताकि इसे भरोसेमंद बनाया जा सके। ब्रह्मोस के एनजी वर्जन को लेकर कुछ देशों ने भी इंटरेस्ट दिखाया है।
जोशी ने कहा कि पहले हम इंडिया की जरूरत पूरी करेंगे फिर एक्सपोर्ट देखेंगे। बहुत सारे देशों ने इंटरेस्ट दिखाया है, एयरो इंडिया में कई देशों के साथ मीटिंग हुई है। फिर गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट मीटिंग होगी और फिर फाइनल होगा।