भारत से मजबूत रिश्ते, हालात से निपट लेंगे : व्हाइट हाउस
New Delhi news : 22 सौ करोड़ रुपए की रिश्वत के मामले में न्यूयॉर्क की कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद अदाणी समूह के प्रमुख गौतम अदाणी और भतीजे सागर समेत आठ अधिकारियों पर गिरफ्तारी व प्रत्यर्पण का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका के प्रमुख अटॉर्नी ने कहा, यह मामला काफी आगे बढ़ सकता है। आरोपियों की गिरफ्तारी व प्रत्यर्पण की कोशिश भी की जा सकती है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा कि भारत के साथ उसके रिश्ते मजबूत नींव पर टिके हैं। अमेरिका भारतीय उद्योगपति अदाणी पर लगे रिश्वत के आरोपों से उत्पन्न स्थिति से निपटने को लेकर आश्वस्त है।
अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार
भारतीय मूल के अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने कहा कि अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस को मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी करने और इनसे जुड़े देशों को भेजने का अधिकार है। अगर इन देशों से अमेरिका की प्रत्यर्पण संधि है, तो संप्रभु देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते के तहत उस देश को आरोपी को अमेरिका को सौंपना होगा। इस प्रक्रिया का निवासी देश को अपने कानूनों के अनुरूप पालन करना चाहिए। बता दें कि भारत-अमेरिका के बीच 1997 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी। गौरतलब है कि अमेरिकी न्याय विभाग ने अदाणी समेत आठ लोगों पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारतीय अफसरों पर करोड़ों रुपये की घूस देने का आरोप लगाया है।
अमेरिकी कानून पूंजी बाजारों के मामले में बहुत सख्त
रवि बत्रा ने कहा, अमेरिकी कानून पूंजी बाजारों के मामले में बहुत सख्त है। असाधारण परिस्थितियां होने के बावजूद प्रत्यर्पण हो सकता है। ब्रिटेन ने चिली के पूर्व राष्ट्रपति ऑगस्टो पिनोशे को मानवीय आधार पर प्रत्यर्पित नहीं किया। हालांकि बत्रा ने यह भी कहा कि अदाणी से जुड़े इस मामले में पिनोशे की मिसाल लागू होना कठिन है। ऐसे में प्रत्यर्पण का खतरा बढ़ सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी रेटिंग्स ने कहा कि आरोपों से समूह के संचालन के तौर-तरीकों पर नए सिरे से सवाल उठ सकते हैं और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। हम मौजूदा ऋणदाताओं से कमजोर वित्त पोषण या चिंताओं के किसी भी संकेत पर नजर रखेंगे।
सूचीबद्ध कंपनियों पर लगे किसी भी आरोप का खुलासा करना अनिवार्य
इस बीच सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों से पूछा है कि अदाणी ग्रीन एनर्जी लि. ने रिश्वतखोरी के आरोपों में अमेरिकी न्याय विभाग की जांच का खुलासा मार्च में किया था या नहीं? नियमों के मुताबिक, सूचीबद्ध कंपनियों पर लगे किसी भी आरोप का खुलासा करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में दो सप्ताह लग सकते हैं। इसके बाद सेबी तय कर सकता है कि वह जांच को आगे बढ़ाएगा या नहीं। जांच का केंद्र बिंदु 15 मार्च को ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी अभियोजक जांच कर रहे थे कि क्या अदाणी की कंपनी या उससे जुड़े लोग अधिकारियों को सोलर प्रोजेक्ट का ठेका फाइनल करने के लिए रिश्वत दे रहे हैं। हालांकि समूह ने कहा था, चेयरमैन के खिलाफ किसी भी जांच के बारे में जानकारी नहीं है।
आगे क्या ?
किसी भी आग्रह पर कोई निर्णय भारत की अदालत के मूल्यांकन के बाद ही कानून के अनुसार, अमेरिका भारत सरकार से आरोपियों के प्रत्यर्पण का आग्रह कर सकता है। इसके बाद, देश की अदालत में इसका मूल्यांकन किया जाएगा कि अमेरिका के आरोप भारतीय कानून के तहत लागू होते हैं या नहीं। यह भी देखा जाएगा कि मामले में किसी प्रकार की राजनीतिक या मानवाधिकार से जुड़ी समस्या तो नहीं है। गौतम अपने प्रत्यर्पण को लेकर कोर्ट में विरोध कर सकते हैं, पर इसकी प्रक्रिया जटिल और लंबी हो जाएगी। इसके अलावा, भले अदाणी को प्रत्यर्पित कर दिया जाए या वह अमेरिका में सरेंडर कर दें, फिर भी ट्रायल चलने में काफी समय लग सकता है। अगर अदाणी दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें बरसों तक जेल में रहना पड़ सकता है। आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हालांकि कोई भी सजा सुनवाई करने वाले न्यायाधीश पर निर्भर करेगी। गौतम अदाणी अमेरिकी अदालत में दलील पेश कर समझौते पर भी बातचीत कर सकते हैं।