असम में भी किशोरी की मौत, लोगों में दहशत, सरकार अलर्ट
Pune news : महाराष्ट्र में गुलियन-बैरी सिंड्रोम से एक और मौत होने से अब मृतकों की संख्या 05 हो गर्यी है। वहीं, दूसरी ओर, असम में गुलियन-बैरी सिंड्रोम से हुई मौत ने चिन्ता बढ़ा दी है। महाराष्ट्र में गुलियन-बैरी सिंड्रोम (जीबीएस) इससे पहले चार लोगों की मौत हो चुकी है। पांचवीं मौत पुणे में हुई। यहां अस्पताल में एक 60 साल के व्यक्ति की मौत हो गयी, तो वहीं दूसरी तरफ असम एक किशोरी की मौत हुई है। यह 17 साल की किशोरी गुवाहाटी के अस्पताल भर्ती थी। पुणे में खौफ दिखाई दे रहा है।
सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट कर दिया है। महाराष्ट्र में नांदेड़ गांव के 60 साल के व्यक्ति की शनिवार को पुणे के ससून अस्पताल में मौत हो गई। वह 16 जनवरी से अस्पताल में भर्ती था। वहीं असम में एक किशोरी की गुवाहाटी के अस्पताल में मौत हो गयी। यह असम राज्य में जीबीएस से पहली मौत है। किशोरी 21 जनवरी से अस्पताल में भर्ती थी और 11 दिनों से वेंटिलेटर पर थी। गम्भीर हालत में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। शुक्रवार तक आईसीयू में 45 मरीज भर्ती आये थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 83 हो गयी है। वेंटिलेटर पर मरीजों की संख्या 18 से बढ़ कर 28 हो गयी है। दूसरी ओर, 38 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलने से थोड़ी राहत मिली है।
पुणे में जिस व्यक्ति की मौत हुई, उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। फिर आॅटोनोमिक डिसफंक्शन, क्वाड्रिप्लेजिया और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत सामने आयी थी। ससून अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि मरीज खडकवासला का रहनेवाला था, जो नांदेड़ गांव के उन इलाकों में से एक है, जहां कई जीबीएस के मामले सामने आये हैं। अस्पताल आने से पहले उसे सात दिनों तक लूजमोशन हुए थे। जब वह अस्पताल पहुंचा, तब तक उसकी हालत गंभीर थी और उसे क्वाड्रिप्लेजिया (लकवा) मार गया था। मृतक ने अस्पताल आने से पहले छोटे अस्पतालों में इलाज कराया था। बीजे मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डीन ने कहा कि शनिवार को पांच मरीजों को छुट्टी दे दी। अस्पताल में कुल 27 मरीज हैं। अगले 2-3 दिनों में 10 और मरीजों को छुट्टी दे दी जायेगी।
पुणे नगर निगम क्षेत्र में शामिल नये गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां अब तक जीबीएस के 82 मामले सामने आये हैं। पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम में 17 मरीज हैं। यह एक गम्भीर बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं है। कैंपिलोबैक्टर जीजूनी नामक जीवाणु जो कम से कम पांच मरीजों के मल के नमूनों में पाया गया था, पानी के नमूनों में नहीं मिला। जीबीएस के मामलों वाले इलाकों में पानी की आपूर्ति करनेवाले निजी टैंकरों से लिये गये 15 नमूनों में कोलीफॉर्म और ई. कोलाई बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया। 14 नमूनों में ई. कोलाई की मात्रा 16 प्रति 100 मिलीलीटर से ज्यादा थी। पीने के पानी में आदर्श रूप से ई. कोलाई नहीं होना चाहिए। जीबीएस एक ऐसी बीमारी है, जो तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, लकवा और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।