New Delhi news : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स की सफलतापूर्वक डॉकिंग कर दी है। यह स्पाडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) मिशन के तहत किया गया। इस कामयाबी के साथ भारत, अमेरिका,रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। यह उपलब्धि गुरुवार को हासिल हुई।
इसरो ने स्पाडेक्स मिशन के तहत अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ने का चौथा प्रयास किया था, जो सफल रहा। वैज्ञानिकों ने डॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। टीम ने पूरी जानकारी का विश्लेषण किया और इस ऑपरेशन की सफलता की पुष्टि की। डेटा की समीक्षा पूरी होने के बाद आधिकारिक घोषणा भी कर दी गई। इसरो ने अपने बयान में कहा कि दो उपग्रहों को जोड़ने के बाद, दोनों को एक ही वस्तु के रूप में नियंत्रित करने में सफलता मिली है। आने वाले दिनों में उपग्रहों को अलग करने और बिजली हस्तांतरण की जांच की जाएगी।
अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ा गया
इस उपलब्धि के साथ अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत उपग्रह डॉकिंग क्षमता प्रदर्शित करने वाला चौथा देश बन गया है। डॉकिंग में समझिए जैसे दो गाड़ियों को आपस में जोड़ दिया जाए, वैसे ही अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को जोड़ा गया है। यह बहुत ही मुश्किल काम है, क्योंकि अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता और उपग्रह बहुत तेज गति से घूम रहे होते हैं। तकनीकी समस्याओं के कारण 7 और 9 जनवरी को स्थगित होने के बाद, डॉकिंग प्रक्रिया गुरुवार को पूरी हुई। अंतरिक्ष में डॉकिंग और अन डॉकिंग मिशन को सबसे पहले अमेरिका ने 59 साल पहले किया था। उसके अगले साल 1967 को रूस ने इस कारनामे को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। चीन ने 2011 में यह सफलता पाई। चौथे देश के रूप में भारत ने भी इस ग्रुप में अपनी जगह बना ली है।
प्रधानमंत्री क्या बोले
‘इसरो में हमारे वैज्ञानिकों और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को सैटेलाइट्स के डॉकिंग के सफल प्रदर्शन के लिए बधाई। यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।’
– नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
यूपी के सीएम ने क्या कहा
‘अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट्स की सफलतापूर्वक डॉकिंग पर इसरो की पूरी टीम को बधाई। अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं में यह एक बड़ी छलांग है।’
– योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री (यूपी)
अगले 15 साल का प्लान तैयार
सवाल यह है कि भारत ने स्पैडेक्स मिशन अभी ही क्यों किया? दरअसल, इस मिशन की सक्सेस ने इसरो के लिए अगले 15 साल की राहें खोल दी है। इसरो ने 2040 तक के मिशनों को काम करना शुरू कर दिया है। इसरो 2035 तक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने लक्ष्य को साकार करने के काम पर लगा हुआ है। यह मिशन चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और गगनयान सहित भारत की भविष्य की अंतरिक्ष पहलों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी प्रदर्शक के रूप में कार्य करता है। चंद्रयान-4 एक चंद्र मिशन है जिसे उन्नत डॉकिंग तकनीकों का उपयोग करके पृथ्वी पर नमूने वापस लाने के लिए डिजाइन किया गया है। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को 2028 तक लांच करने के लिए निर्धारित एक मॉड्यूलर स्पेस स्टेशन के रूप में देखा जाता है। इस सफलता ने सैंपल रिटर्न, अंतरिक्ष स्टेशन असेंबली और अंतरग्रहीय अन्वेषण से जुड़े जटिल मिशनों के लिए आधार तैयार किया है।
श्रीहरिकोटा में बनेगा तीसरा लांच पैड
अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों के बारे में बताते हुए श्रीहरिकोटा में तीसरे लांच पैड को मंजूरी देने की जानाकारी भी दी। उन्होंने बताया कि तीसरा लांच पैड नया और आधुनिक होगा। नया लांच पैड नेक्स्ट जेनरेशन लांच व्हीकल के लिए काफी मददगार और सहूलियत वाला होगा। इस लांच पैड पर रॉकेट को हॉरिजोंटल (लिटाकर) असेंबल करके वापस सीधा खड़ा किया जा सकेगा। इसके निर्माण पर कुल मिलाकर 3985 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसकी कैपेसिटी पहले के दो लांच पैड से ज्यादा होगी। नए लांच पैड को अगले 30 साल को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि मानव चंद्रमा मिशन में भी इस लांच पैड का इस्तेमाल किया जाएगा। नए लांच पैड को 48 महीनों यानी 4 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।