New Delhi news: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को कथित आबकारी नीति घोटाले में सशर्त जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘तीन सवाल तय किये हैं…क्या गिरफ्तारी में कोई अवैधानिकता थी?, क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? क्या आरोप पत्र दाखिल करना परिस्थितियों में इतना बदलाव है कि मामले को ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सके? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हम अपीलकर्ता की दलीलों से सहमत नहीं हैं कि सीबीआई धारा 41 का पालन करने में विफल रही। जेल में लम्बे समय तक कैद रहना लिबर्टी के लिए एक समस्या है। अदालतें आम तौर पर लिबर्टी की तरफ झुकाव रखती हैं।’
सीबीआई के द्वारा गिरफ्तारी ईडी मामले में जमानत को निरर्थक बनाने की कोशिश है
वहीं जस्टिस भुइंया ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि ईडी मामले में अपीलकर्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा नियमित जमानत देने के बाद ही सीबीआई सक्रिय हुई और हिरासत की मांग की। 22 महीने से अधिक समय तक उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं हुई। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर ही गम्भीर सवाल उठाती है।’ जस्टिस भुइयां ने कहा, ‘सीबीआई द्वारा की गयी गिरफ्तारी ईडी मामले में जमानत को निरर्थक बनाने की एक महज कोशिश है। उन्होंने कहा कि सीबीआई एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह धारणा दूर करने का प्रयास होना चाहिए कि जांच निष्पक्ष रूप से नहीं की गयी।’ उन्होंने ईडी मामले में जमानत की शर्त के खिलाफ आपत्ति जाहिर की, जिसमें केजरीवाल को सीएम सचिवालय जाने या फाइलों पर हस्ताक्षर करने से रोका गया है। हालांकि, जमानत देकर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें भी लगायी हैं। जमानत के लिए उन पर वहीं शर्तें लागू होंगी, जो ईडी के मामले में जमानत देते हुए लगायी गयी थीं।
1. अपने मुकदमे को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दें।
2. वह मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जायेंगे।
3.केजरीवाल अपनी ओर से दिये गये इस कथन से बाध्य हैं कि वह सरकारी फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि ऐसा करना आवश्यक न हो और दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी/अनुमोदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक हो।
4. वह वर्तमान मामले में अपनी भूमिका के सम्बन्ध में कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
5.वह किसी भी गवाह से बातचीत नहीं करने और/या मामले से जुड़ी किसी भी आधिकारिक फाइल तक पहुंच नहीं रखेंगे।