New Delhi news: गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के केंद्र सरकार के फैसले को यूएपीए ट्रिब्यूनल ने सही ठहराया। उस पर लगे बैन को पांच के लिए बढ़ा दिया गया है। ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनूप कुमार मेंदिरत्ता ने की। उन्होंने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि सबूतों से स्पष्ट होता है कि एसएफजे का संबंध खालिस्तानी आतंकी संगठनों जैसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स से है। साथ ही, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ मिलकर पंजाब में आतंकवाद को फिर से सक्रिय करने का प्रयास भी किया गया।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रिब्यूनल ने कहा कि एसएफजे ने सोशल मीडिया के जरिए युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने, तस्करी नेटवर्क के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और प्रधानमंत्री व गृहमंत्री जैसे भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देने का काम किया। 2019 में एसएफजे को पहली बार गैरकानूनी घोषित किया गया था और उस समय इसके खिलाफ 11 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। 2024 तक यह संख्या बढ़कर 122 हो गई, जो इसके गैरकानूनी गतिविधियों में तेज वृद्धि को दर्शाती है।
एसएफजे ने भारतीय सेना के सिख जवानों को विद्रोह के लिए उकसाने, खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बाधित करने की कोशिश की। ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि एसएफजे ने पावर प्लांट और रेलवे जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को निशाना बनाया और जी 20 शिखर सम्मेलन जैसे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों में व्यवधान डालने का प्रयास किया।
एसएफजे ने साइबर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए अलगाववादी प्रचार किया, धमकी भरे संदेश प्रसारित किए और भारतीय ध्वज जलाने जैसे कार्यों के लिए उकसाने वाले वीडियो और कॉल जारी किए। सरकार की ओर से 52 गवाहों की गवाही, जिसमें वरिष्ठ पुलिस और खुफिया अधिकारी शामिल थे, वीडियो, दस्तावेज और एसएफजे नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के कबूलनामे पेश किए गए।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि एसएफजे की गतिविधियां भारतीय संविधान और यूएपीए का सीधा उल्लंघन हैं और ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इस आधार पर एसएफजे पर लगाए गए प्रतिबंध को उचित ठहराया गया।
सिख्स फॉर जस्टिस
सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है, जो खालिस्तान समर्थक विचारधारा को बढ़ावा देता है। यह संगठन पंजाब को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र खालिस्तान राज्य बनाने की वकालत करता है। यह संगठन मुख्य रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करता है और युवाओं को खालिस्तान आंदोलन के प्रति उकसाने, कट्टरपंथी बनाने और उनकी भर्ती करने की कोशिश करता है। एसएफजे के खिलाफ भारत में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आतंकवादी गतिविधियों का वित्तपोषण, राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बाधित करना, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना और भारतीय सेना में विद्रोह को उकसाने जैसे कार्य शामिल हैं।