New Delhi news : बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद अंतरिम सत्ता में आए शांति के पुरोधा मोहम्मद युनुस के शासन में हिंदुओं के खिलाफ जमकर हिंसा हो रही है। भारत सरकार ने हिंसा पर बांग्लादेश के झूठ की पोल खोल दी है। बांग्लादेश हिंदुओं के खिलाफ पाकिस्तान से भी ज्यादा क्रूर बन गया है। संसद में दिए एक जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया है कि इस साल आठ दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं समेत अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2200 हमले हुए हैं, जबकि अक्टूबर तक पाकिस्तान में इस साल हिंदुओं पर 112 हमलों की घटनाएं सामने आई हैं।
विदेश राज्य मंत्री ने संसद में आंकड़े जारी करते हुए बताया कि बांग्लादेश में साल 2022 में जहां 47 हमले हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ सामने आए, तो पाकिस्तान में यह संख्या 241 थी। इसके बाद 2021 में बांग्लादेश में 302 मामले सामने आए और पाकिस्तान में 103। वहीं, इस साल बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। आठ दिसंबर, 2024 तक बांग्लादेश में हिंसा के 2200 मामले सामने आ चुके हैं और पाकिस्तान में यह संख्या 112 है। उन्होंने बताया है कि हिंसा की घटनाओं को सरकार ने गंभीरता से लिया है और बांग्लादेश की सरकार के सामने अपनी चिंता को उठाया है। सरकार को उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कड़े और जरूरी कदम उठाएगी। विदेश सचिव की बांग्लादेश की यात्रा के दौरान भी यही मैसेज दिया गया है। ढाका में स्थित भारतीय दूतावास भी करीब से हमले की घटनाओं पर नजर बनाए हुए है।
इसके साथ ही, विदेश राज्य मंत्री ने यह भी कहा कि भारत सरकार ने पाकिस्तान से धार्मिक असहिष्णुता, सांप्रदायिक हिंसा, व्यवस्थागत उत्पीड़न व अल्पसंख्यक समुदायों पर हमलों को रोकने और उनकी सुरक्षा, संरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है। मंत्री ने कहा, “भारत उचित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को उजागर करना जारी रखेगा।” मंत्री ने कहा कि अन्य पड़ोसी देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामले शून्य हैं। सिंह से पिछले तीन वर्षों के दौरान पड़ोसी देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के कुल मामलों की संख्या, देशवार और वर्षवार और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए या प्रस्तावित कदमों, जिसमें राजनयिक हस्तक्षेप और राहत उपाय शामिल हैं, के बारे में पूछा गया था।
बता दें कि अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए। हसीना के भारत में शरण लेने के कुछ दिनों बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस सत्ता में आए। वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में नेतृत्व करते हैं। हिंदुओं पर हमलों और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर हाल के हफ्तों में दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए।