राजीव थेपड़ा
एक कटु सत्य, अगर आप इसे समझ सको। रील्स और मीम्स के इस उत्तर आधुनिक युग में लाइक और कमेंट के रूप में एक छद्म हम सबके बीच विस्तृत रूप से फैलता जा रहा है। किन्तु, अपनी ही आत्ममुग्धता के मारे हम सब इसे पहचान पाने में असफल हैं। लेकिन, जो हमारे इर्द-गिर्द हमारी आत्ममुग्धता को और भी ज्यादा बढ़ाता हुआ दरअसल हमारे व्यक्तित्व को ही बुरी तरह लीलता जा रहा है। इसके कुपरिणाम स्वरूप हम स्वयं भी एक छोटे और अत्यन्त तुच्छ व्यक्तित्व के रूप में परिणत होते जा रहे हैं, इसका तनिक भी आभास हमको नहीं है !!
इंस्टाग्राम में…यूट्यूब में…फेसबुक की रील्स में और इसके अलावा भी अन्य तमाम तरह के प्लेटफार्म पर जिधर देखो उधर, कहीं बंदरों की तरह मुंह बनाते हुए, कहीं बंदरिया की तरह नाचते हुए और कहीं न जाने किस-किस किस्म की हरकतें करते हुए…जिनमें अश्लीलता की सारी सीमाएं लांघते हुए, जिस तरह से हम सभी उल्टे-पुल्टे कार्य करके लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का उपक्रम रच रहे हैं, उससे हमारी अपने आप को, लोगों के बीच उजागर करने की एक बेचैनी स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है !
जल्दी से जल्दी लोगों के बीच छा जाने के आकांक्षी हम सभी अपनी वॉल पर लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए अक्सर वे तमाम अश्लील बातें भी कर जाते हैं, जो दरअसल हम अपने परिवार के बीच या अपने बच्चों के बीच बिलकुल भी ना करना चाहें और स्त्रियां तो माशाअल्लाह इस क्षेत्र में कामयाबी के नित नये कीर्तिमान रच रही हैं ! लेकिन, इन नये कीर्तिमान रचनेवालियों की वॉल पर जाने पर यही पता चलता है कि उनमें से अधिकतर तो तरह-तरह के भड़काऊ वस्त्र पहन कर, हर तरीके से अपने विभिन्न अंगों-उपांगों को दिखला कर और कई बार तो बिलकुल असामाजिक चीजें करते हुए अपनी वॉल पर लोगों की रीच बढ़ाने के प्रयास में इस कदर लम्पट हुई जा रही हैं कि उन्हें इसका अहसास तक नहीं है कि दरअसल इससे समाज में कूया पनपता है और उसका परिणाम दरअसल क्या होता है !!
यह साफ-साफ जान लीजिए कि आप जो करते हैं, उसी से लोग आपके बारे में एक मंशा बनाते हैं और आपके इसी किये जाने के इर्द-गिर्द ही आपको देखनेवाले लोगों के मन में आपके प्रति तरह-तरह के उतार-चढ़ाव या कुविचार या सुविचार ; ये सभी आते हैं। यदि आप यह सोचते हैं कि तरह-तरह की बकवास करके, अश्लीलता की हदें पार करके, कपड़े छोटे करके और यदि बड़े कपड़े हुए, तो उन्हें तरह-तरह से उघाड़ करके लोगों की जुगुप्सा जगाते हुए यदि आप सोचते हैं कि लोग आपकी इज्जत करेंगे, तो इस खामखयाली को अपने दिल से बिलकुल निकाल दीजिए !!
क्योंकि, यदि यह सच है कि आपके कर्मों से आपकी इज्जत बनती है, तो यह भी सच है कि आपके कुकर्म से आपकी इज्जत घटती भी है ! आपको बेशक ऐसा लगता होगा कि आपका शरीर है, आपके कपड़े हैं, आपकी वाल है और इन तीनों के जोड़ को अपनी तरह से निरूपित करने की आपको स्वतंत्रता है।…तो फिर यह भी जान लीजिए कि यह स्वतंत्रता आपके लिए एक बहुत बड़ी परतंत्रता का आगाज भी है, क्योंकि जब भी आप ऐसा करते हैं, तो आप अपने प्रति किन्ही गंदी नजरों का आविष्कार भी करते हैं। आविष्कार इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि जब आप समाज में अपनी गतिविधियों द्वारा अथवा अच्छे कर्म द्वारा लोगों की नजरों में चढ़ते हैं, तो उसकी इज्जत कुछ और होती है। लेकिन, आप अपनी गलत हरकतों द्वारा, अश्लील सामग्रियों द्वारा समाज में छाने का प्रयास करते हो, तो उसी प्रकार के लोगों की नजरों में चढ़ते हो और यहां तक कि जान-बूझ कर या अनजाने में अच्छी-भली नजरों को भी पिपासु बनाते हो !
पता नहीं क्यों, आप सब को इस बात का आभास नहीं होता कि आप जिस प्रकार अपने अंगों का भड़काऊ और यहां तक कि वीभत्स प्रदर्शन करते हो, उसमें आप का क्या उद्देश्य होता है ? अंग प्रदर्शन का…भड़काऊ तरीकों से अपने अंगों को दिखलाने का क्या मकसद हो सकता है और फिर ऐसा किये जाने के पश्चात आप पुरुषों से अपने प्रति किस प्रकार की सदिच्छा की आशा करते हो ?? आप लोगों के अन्दर क्या कभी इस तरह के प्रश्न नहीं उभरते ? या फिर उभरते हैं, तो “मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं, मेरी मर्जी” की तर्ज पर आपका शरीर, आपका उपयोग, आपकी स्वतंत्रता और आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ; ये सारी चीजें तर्क बन कर, ढाल बन कर आपके सामने खड़ी हो जाती हैं !
…तो, आप गन्दगी को भी अपनी ढाल बना सकते हो, यह भी आप की स्वतंत्रता है ! आप कुतर्कों का सहारा लेकर लोगों से लड़ सकते हो, यह भी आप की स्वतंत्रता है और आप लोगों को कुत्तों की तरह भौंकनेवाला भी बता सकते हो, यह भी आपकी स्वतंत्रता है और आप लोगों की नजरों को ही गन्दी बताना शुरू कर दो, यह आप की सबसे बड़ी स्वतंत्रता है, क्योंकि आपका रूप है ! आपका सौंदर्य है ! आपका शरीर है और उसे अपने तरीके से इस्तेमाल करने की आपकी मर्जी है !!
वाह क्या बात है ! क्या सोच है ! आप सबकी इस सोच पर क्यों न कुर्बान हो जाया जाये ? लेकिन, मेरा सवाल सिर्फ इतना ही है कि यह सब करके आप पुरुषों की दृष्टि में अपनी किस प्रकार की छवि बनाते हैं और पुरुषों की लार टपकवाने के लिए उत्सुक आप सभी स्त्रियां ऐसा किये जाने के पश्चात पुरुषों से अपने बारे में क्या चाहती हैं ? …कि वह आपके बारे में क्या सोचे और फिर आपसे वह क्या करना चाहे ? क्या कभी ये मार्मिक सवाल आपके मन के भीतर प्रवेश कर सकेंगे? छोटे-छोटे बच्चे आपकी इन सभी हरकतों को उत्सुकतापूर्वक और जुगुप्सापूर्वक देखते हुए किस प्रकार के दिलो-दिमाग का निर्माण कर रहे हैं ? यह सब शायद ही आपको पता हो और अपनी चारों तरफ लगातार इस तरह की हरकतें देखते हुए उनके व्यक्तित्व का निर्माण किस प्रकार हो रहा होगा, इसका भी शायद ही आपको कुछ आभास हो !!
मुझे आपके भीतर पनपनेवाले ऐसे मार्मिक सवालों की बेहद शिद्धत से प्रतीक्षा है। मैं बेचैन हूं कि आपको अपने द्वारा किये जा रहे इन कर्मों का लेखा-जोखा खुद अपने भीतर से करने की आदत पड़े या कि अपने द्वारा किये जा रहे इन कर्मों के कुल परिणामों की झांकी आपको अपने इन कर्मों के किये जाने से पूर्व ही आपके दिल में महसूस हो सके, इस बात की मुझे प्रतीक्षा है। याद रखिए, कि जिन किन्हीं लोगों की भी, चाहे वह पुरुष हो, चाहे वह स्त्री हो ; हम उनकी इज्जत उनके द्वारा समाज में किये जा रहे उनके योगदान के कारण करते हैं। न कि उनके द्वारा की जा रही अश्लील और बेकाबू उच्छृंखल अदाओं के चलते !
समाज में जिन किन्हीं लोगों या स्त्रियों ने अपनी पैठ बनायी है। जो लोग, जो स्त्रियां समाज में लीड कर रही हैं, वे सिर्फ और सिर्फ अपने कुछ बेहतरीन या नेक कार्यों की बदौलत, न कि इन तुच्छ हरकतों की बदौलत !! इस बात को समझिए, सीखिए, जानिए ! मुझे उम्मीद है कि आप में से बहुतों की आंखें खुलेंगी। आप अपने द्वारा किये जा रहे इस तरह के बेहूदा कार्यों का कुपरिणाम समझेंगे और इन सब के कारण समाज में फैलती विडम्बनाओं को समझने में समर्थ होंगी।
रुकिए…देखिए…समझिए और सम्भलिए, क्योंकि आप नहीं सम्भलीं, तो एक पूरा समाज गड्ढे में गिर जायेगा !! …तो, क्या आप यही चाहती हैं ??