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भैया दूज पर कल भाइयों को श्रापणे की परंपरा का निर्वहन करेंगी बहनें, जानें क्यों होता है ऐसा

भैया दूज पर कल भाइयों को श्रापणे की परंपरा का निर्वहन करेंगी बहनें, जानें क्यों होता है ऐसा

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Sushil Kumar Pandey, Motihari news : भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज) पर्व, चित्रगुप्तकलम दवात पूजा का मान रविवार को है। इसी दिन प्रातःकाल से बहनें श्रापन की परंपरा का निर्वहन भी करेंगी। इस दिन द्वितीया तिथि का मान रात्रि 08:22 बजे तक है। अतः प्रातःकाल से लेकर सायंकाल पर्यन्त कभी भी श्रापन की विधि की जा सकती है। लेकिन रविवार का भेद मानने वाली बहनें प्रातः 05:37 से सूर्योदय काल 06:38 बजे तक श्रापन की विधि पूर्ण करेंगी। यह जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी।

यमुना ने यम को अपने घर कराया था भोजन

उन्होंने बताया कि कार्तिक शुक्लपक्ष द्वितीया तिथि को यम द्वितीया व भ्रातृ द्वितीया (भैया दूज) के नाम से प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर भोजन कराया था और इस अवसर पर यमलोक में उत्सव भी हुआ था। इस दिन बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करने व उन्हें यथाशक्ति दान देने से कर्मपाश में बंधे हुए नारकीय पापियों को भी यमराज छोड़ देते हैं।

भाइयों को श्रापणे की है परंपरा

 इस तिथि में बहन के द्वारा अपने भाइयों को श्रापने की परंपरा है और पुनः बहनें अपने जिह्वा पर रेंगनी के कांटों को चुभाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बहन का श्राप भाइयों के लिए आशीर्वाद होता है। बहनें इस दिन भाई के माथे पर तिलक लगाकर भाई के दीर्घ जीवन की कामना करतीं हैं। इस दिन अपने घर भोजन नहीं कर बहन के घर जाकर उनके हाथ का बना हुआ भोजन करना चाहिए। इससे बल, पुष्टि, धन, यश, आयु, धर्म, अर्थ और अपरिमित सुखों की प्राप्ति होती है।

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