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क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में हिन्दी के उत्थान पर हुआ मंथन, कई विभाग व संस्थाएं सम्मानित

क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में हिन्दी के उत्थान पर हुआ मंथन, कई विभाग व संस्थाएं सम्मानित

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Guwahati News: गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की ओर से आयोजित पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार, सरकारी कामकाज में इसकी बढ़ती उपयोगिता और तकनीकी नवाचारों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। सम्मेलन में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई विभागों व बैंका को ‘राजभाषा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
बुधवार को नगर के मेफेयर स्प्रिंग वैली रिसॉर्ट में सम्पन्न सम्मेलन व पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने की, जबकि असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद राजभाषा विभाग की सचिव अंशुली आर्या ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें उन्होंने हिन्दी भाषा के तकनीकी विकास और भारतीय भाषा अनुभाग की स्थापना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हिंदी सहित भारतीय भाषाओं को वैश्विक मंच पर पहचान मिली है।


राजभाषा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का सूत्र है हिन्दी : नित्यानंद
इस कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने हिन्दी को सिर्फ राजभाषा ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का सूत्र बताया। उन्होंने कहा कि सरकार राजभाषा हिन्दी को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए सरकार द्वारा उठाये गये कदमों की चर्चा की, जिसमें वर्ष 2018 में ‘कंठस्थ’ अनुवाद टूल का लोकार्पण, 2020 में नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा को विशेष महत्त्व, 2022 में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ की शुरुआत, ‘राजभाषा गौरव पुरस्कार योजना’ का विस्तार शामिल है।


हिन्दी भारत की आत्मा : डॉ. सरमा
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने हिन्दी को भारत की आत्मा और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि असम और पूर्वोत्तर में हिन्दी सम्पर्क भाषा के रूप में उभर रही है और क्षेत्र के उद्योगों, शिक्षण संस्थानों तथा चाय बागानों में इसका व्यापक उपयोग हो रहा है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राजभाषा विभाग की पत्रिका ‘राजभाषा भारती’ के विशेषांक और बहुभाषी अनुवाद सॉफ्टवेयर ‘कंठस्थ 3.0’ के अल्फा संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने इसे सरकारी कामकाज में हिंदी को और प्रभावी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि 14 सितम्बर, 1949 को जब हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था, तब इसका उद्देश्य सिर्फ सरकारी कामकाज तक सीमित नहीं था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक अस्मिता को एकसूत्र में पिरोने का प्रयास था। उन्होंने सभी को हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करने की प्रेरणा दी। गुवाहाटी में सम्पन्न यह ऐतिहासिक सम्मेलन हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मील का पत्थर साबित होगा।
हिन्दी उत्थान के लिए कई विभाग व बैंकें सम्मानित पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान के लिए 48 सरकारी कार्यालयों, बैंकों और उपक्रमों को ‘राजभाषा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों को प्रभावी कार्यों के लिए ‘नराकास राजभाषा सम्मान’ दिया गया। पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन में सांसद बिजुली कलिता मेधी, सांसद दिलीप सैकिया समेत कई गण्यमान्य मौजूद रहे। समापन अवसर पर पूर्वोत्तर भारत के लोक संगीत और नृत्य की शानदार सांस्कृतिक की प्रस्तुतियां दी गयीं। संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन दिया और हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए सभी से मिलकर प्रयास करने का आह्वान किया।


भाषाई सौहार्द पर हुई विचार गोष्ठी
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में ‘पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत में भाषायी सौहार्द’ विषय पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गयी। गौहाटी विश्वविद्यालय के प्रो. दिलीप मेधी ने कहा कि भारत की विविधता में हिन्दी एकता का माध्यम है। पांडिचेरी विश्वविद्यालय की प्रो. एस पद्मप्रिय ने हिन्दी को भारतीय भाषाओं का प्रतिनिधि बताते हुए कहा कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाएं एक-दूसरे की पूरक हैं, न कि प्रतिस्पर्द्धी। सिक्किम के वरिष्ठ साहित्यकार वीरभद्र कार्कीढोली ने सुझाव दिया कि ऐसे सम्मेलन सिक्किम में भी आयोजित किये जायें।


हिन्दी के भविष्य की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम
गुवाहाटी में आयोजित यह सम्मेलन हिन्दी भाषा के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक और मजबूत कदम साबित हुआ।

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