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सीबीआई ने  1.76 करोड़ की हेराफेरी में आईटीबीपी के आठ अधिकारियों व चार ठेकेदारों पर दर्ज किया केस

सीबीआई ने  1.76 करोड़ की हेराफेरी में आईटीबीपी के आठ अधिकारियों व चार ठेकेदारों पर दर्ज किया केस

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वर्ष 2017 से 2019 के बीच पिथौरागढ़ में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में हुई थी हेराफेरी

Dehradun news : सीबीआई देहरादून ने एक करोड़ 76 लाख रुपये के घोटाले के मामले में पिथौरागढ़ जिले के मिर्थी में स्थित सातवीं बटालियन भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के आठ अधिकारियों और चार ठेकेदारों के खिलाफ दो अलग-अलग मामले दर्ज किये हैं। सीबीआई ने अपनी प्राथमिक जांच में पाया कि रसद, केरोसिन और अन्य सामानों की ढुलाई भाड़े में हेराफेरी की गयी है। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है।

जानकारी के मुताबिक दोनों मुकदमे भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल मिर्थी बटालियन के कमांडेंट परमेंद्र सिंह की शिकायत पर दर्ज किये गये हैं। पहला मुकदमा वर्ष 2017 से 2019 के बीच मिर्थी में बल में तैनात रह चुके कमांडेंट महेन्द्र प्रताप, डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई, डिप्टी कमांडेंट मुकेश चंद मीणा, ठेकेदार मदन सिंह राणा, पूरन सिंह और कुंदन सिंह भंडारी के खिलाफ दर्ज हुआ है। आरोप है कि कमांडेंट महेन्द्र प्रताप व अन्य अधिकारियों ने इन ठेकेदारों के साथ मिल कर केरोसिन को अलग-अलग बॉर्डर पोस्ट तक पहुंचाने में करीब 22 लाख 07 हजार रुपये का घोटाला किया। मामले में आरोपित ठेकेदार मदन सिंह राणा, पूरन सिंह और कुंदर सिंह भंडारी पिथौरागढ़ निवासी हैं। वहीं, तत्कालीन कमांडेंट महेंद्र प्रताप वर्तमान में आईटीबीपी मध्य प्रदेश, तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट दीपक गोगोई, हरियाणा और तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट मुकेश चंद्र मीणा आईटीबीवी गुवाहाटी में तैनात हैं।

इसके अलावा सीबीआई ने दूसरा मुकदमा वर्ष 2020 से 2021 के बीच मिर्थी में कमांडेंट रहे अनुप्रीत बोरकर, डिप्टी कामांडेंट दीपक गोगोई, डिप्टी कमांडेंट पूरन राम, डिप्टी कमांडेंट मुकेश चंद मीणा और इंस्पेक्टर अनिल कुमार के खिलाफ दर्ज किया गया है। आरोप है कि इन्होंने ठेकेदार मदन सिंह राणा के साथ मिलकर अलग-अलग सामग्री की ढुलाई में हेराफेरी की है। जिसमें 1.54 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है।

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