Chhath Maiya ki Puja : छठ चार दिनों की पवित्र भावना और आस्था का महापर्व है। ऐसा महापर्व, जिसमें पूरी सृष्टि के लिए ऊर्जा प्रदान करने वाले भगवान भास्कर की पूजा की जाती है, लोक भाषा में ‘सुरुज देव’ की पूजा। इसके साथ ही इस अवसर पर छठ माता की भी पूजा होती है। लोक भाषा की शैली में ‘छठी मइया’ की पूजा। भगवान भास्कर को हम साक्षात् देखते हैं, लेकिन इस अवसर पर ‘छठी मइया’ के दर्शन नहीं होते हैं। तब मन में सवाल उठता है कि आखिर ‘छठी मइया’ कौन हैं। तो आज जान लीजिए कि भगवान भास्कर की बहन ही छठी मइया हैं। मतलब सुरुज देव की बहिनिया छठी मइया।
सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला महापर्व
हम सब जानते हैं कि छठ का पर्व एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें व्रती 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। इस पर्व को लेकर एक मान्यता यह भी है कि अगर इसे पूरी पवित्रता और सच्चे मन से किया जाए तो व्रती की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
क्या कहती है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, छठी मइया को ब्रह्मदेव की पुत्री और भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है। छठी मइया को संतान प्राप्ति की देवी और सूर्य देव को शरीर का स्वामी या देवता कहा जाता है। पुराणों में माना जाता है कि जब ब्रह्म देव सृष्टि की रचना कर रहे थे, तब उन्होंने खुद को दो भागों में विभाजित कर लिया था। एक भाग पुरुष और दूसरा प्रकृति। इसके बाद प्रकृति ने भी खुद को 6 भागों में विभाजित कर लिया, जिसमें से एक देवी मां हैं। छठी मइया देवी मां का छठा अंश हैं, इसलिए उन्हें छठी मइया या प्रकृति की देवी के नाम से जाना जाता है।
सबसे कठिन पूजा
ऐसा सर्वमान्य है कि। हिंदू धर्म के सभी त्योहारों और व्रतों में छठी मइया की पूजा सबसे कठिन और फलदायी मानी जाती है। जो कोई भी व्यक्ति पूरी आस्था, भक्ति और विश्वास के साथ इस पर्व को मनाता है और 36 घंटे का व्रत रखता है, छठी मइया और भगवान सूर्य खुद उसके पुत्र और परिवार की लंबी आयु की रक्षा सदा करते हैं।