New Delhi News: मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार मंगलवार को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। पद से सेवानिवृत्त होने से पूर्व चुनाव आयोग ने सोमवार को उन्हें विदाई दी। राजीव कुमार 01 सितम्बर 2020 को चुनाव आयुक्त बने थे और 15 मई, 2022 को देश के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया था।
अपने विदाई भाषण में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाये रखने के लिए 1.5 करोड़ मतदान अधिकारियों को उनके समर्पण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों पर प्रेरित और अपुष्ट हमलों के बावजूद लगभग एक अरब मतदाताओं का भरोसा अडिग है। उन्होंने मतदाताओं की विशेष रूप से महिला मतदाताओं की उनकी जीवंत भागीदारी के लिए सराहना की और कहा कि चुनावी प्रक्रिया अब अधिक समावेशिता की ओर बढ़ रही है।
चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू ने की सराहना
चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू ने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के समावेशी, परिवर्तनकारी और उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे चुनावी प्रक्रियाओं को मजबूत मिली है और चुनाव प्रबंधन के क्षेत्र में भारत का कद वैश्विक स्तर पर और बढ़ा है।
उल्लेखनीय है कि आयोग में उनके कार्यकाल की विशेषता संरचनात्मक, तकनीकी, क्षमता विकास, संचार, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और प्रशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मौन लेकिन गहन सुधारों की रही। राजीव कुमार के कार्यकाल में कई चुनावी सुधार किये गये। इनमें 17 के अधिक आयु के युवाओं के लिए उन्नत आवेदन सुविधा के साथ मतदाता पंजीकरण के लिए चार अर्हता तिथियों को क्रियान्वित करना शामिल रहा। मतदाता पंजीकरण के लिए सरलीकृत फॉर्म; असम में परिसीमन के साथ चुनावी सीमाओं को फिर से परिभाषित करना; मतदाता सुविधा केन्द्र पर मतदान कर्मियों द्वारा मतदान सुनिश्चित करना, ताकि किसी भी तरह की धमकी, देरी और गलत कामों से बचा जा सके। इन पहलों का उद्देश्य चुनाव प्रशासन को आधुनिक बनाते हुए प्रत्येक पात्र नागरिक को सशक्त बनाना था।
कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान 31 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में चुनाव कराये। इसके साथ ही 2022 के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव और राज्यसभा में विभिन्न रिक्तियों को पूरा कराने से जुड़े चुनाव कराये। यह चुनावी प्रबंधन में एक दुर्लभ और यादगार उपलब्धि है। इस दौरान चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुए और लगभग शून्य पुनर्मतदान और हिंसा की घटनाएं हुईं।