New Delhi news : चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के सत्यापन के लिए नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। हरियाणा के पूर्व मंत्री और 5 बार विधायक रह चुके करण सिंह दलाल की ओर से यह याचिका की गई है। मामला जब शुक्रवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो उसने कहा कि इस मामले को अन्य याचिकाओं के साथ चीफ जस्टिस के समक्ष रखा जाएगा। बेंच ने कहा, ‘यह मामला प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष जा सकता है।’
दलाल ने ईवीएम के सत्यापन के लिए नीति बनाने की अपील करते हुए एससी का रुख किया है। उन्होंने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष अदालत की ओर से दिए गए पहले के फैसले का पालन करने का अनुरोध किया है। दलाल और सह-याचिकाकर्ता लखन कुमार सिंगला अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रहे। उन्होंने निर्वाचन आयोग को ईवीएम के चार घटकों (कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट, वीवीपीएटी और सिंबल लोडिंग यूनिट) की मूल बर्न मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए प्रोटोकॉल लागू करने का निर्देश देने की गुजारिश की है।
5 प्रतिशत ईवीएम का सत्यापन जरूरी
शीर्ष अदालत ने अपने पहले के फैसले में कहा था कि चुनाव नतीजे घोषित होने के बाद प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 5 प्रतिशत ईवीएम का सत्यापन ईवीएम निर्माताओं के इंजीनियरों की ओर से किया जाना चाहिए। एससी ने कहा कि सत्यापन प्रक्रिया दूसरे या तीसरे सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के लिखित अनुरोध पर आयोजित की जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि निर्वाचन आयोग ऐसी कोई नीति जारी करने में विफल रहा है, जिससे बर्न मेमोरी सत्यापन की प्रक्रिया अस्पष्ट बनी हुई है। बर्न मेमोरी का मतलब प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी (दर्ज आंकड़ों) को स्थायी रूप से लॉक कर देना होता है। इससे उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
याचिका के अनुसार, निर्वाचन आयोग की ओर से जारी मौजूदा एसओपी में केवल बुनियादी निदान परीक्षण और मॉक पोल शामिल हैं। ईवीएम के निर्माता भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियरों की भूमिका मॉक पोल के दौरान वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती तक ही सीमित है। याचिका में कहा गया कि यह दृष्टिकोण मशीनों की गहन जांच को रोकता है। दलाल और सिंगला ने कहा कि उनकी याचिका ने चुनाव परिणामों को चुनौती नहीं दी, बल्कि ईवीएम सत्यापन के लिए मजबूत तंत्र का अनुरोध किया है। नतीजों को चुनौती देने वाली अलग-अलग चुनाव याचिकाएं पहले से ही पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं। याचिकाकर्ताओं ने सर्वोच्च न्यायालय से ईसीआई को 8 सप्ताह के भीतर सत्यापन अभ्यास करने का निर्देश देने का आग्रह किया है।