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आंबेडकर विवाद में मुख्यमंत्री योगी की इंट्री, विपक्ष को करारा जवाब

आंबेडकर विवाद में मुख्यमंत्री योगी की इंट्री, विपक्ष को करारा जवाब

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▪︎ विपक्ष ने गृहमंत्री के बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया

▪︎ नेहरू नहीं चाहते थे कि डा.आंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष बनें

▪︎ सपा सरकार ने शिक्षण संस्थाओं से आंबेडर व कांशीराम का नाम हटाया

UP news, Lucknow news : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत रत्न बाबा साहब डा.भीमराव आंबेडकर पर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की ओर से चलायी जा रही मुहिम का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हकीकत तो यह है कि कांग्रेस और सपा ने ही बाबा साहब डा.आंबेडकर का अपमान किया, इसके लिए इन दोनों ही दलों को देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने केन्द्रीय गृहमंत्री के बयान को तोड़-मरोड़ कर मीडिया के सामने प्रस्तुत कर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने का काम किया है। इनकी तरफ से अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए लगातार शरारत की जा रही है

कांग्रेस-सपा ने किया अपमान, देश से माफी मांगे

मंगलवार की दोपहर यहां पांच कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर बुलायी गयी प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की ओर से अनैतिक और असंवैधानिक आचरण किया जा रहा है। भारत के संविधान शिल्पी डा. आंबेडकर के प्रति अपमान के गृहमंत्री व भाजपा पर मिथ्या आरोप लगाए जा रहे हैं। हम सब जानते हैं कि देश की आजादी, संविधान के निर्माण और स्वतंत्र भारत में बाबा साहब का अतुल्य योगदान रहा है। वह भारत माता के महान सपूत थे। हर भारतवासी बाबा साहब के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव रखता है। बाबा साहब के प्रति सम्म्मान का भाव रखते हुए उनके सपनों के भारत को बनाने के लिए भाजपा ने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया।
भाजपा दलितों और वंचितों के उत्थान के लिए काम कर रही है। उनके लिए जीरो पावर्टी का लक्ष्य पाने का काम हो रहा है। लखनऊ में प्रदेश सरकार बाबा साहब के नाम से इंटरनेशनल सेंटर का निर्माण करवा रही है। आजादी के बाद देश का पहला दलित राष्ट्रपति, पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति भाजपा की वजह से आए।

भाजपा की हर सरकार ने बाबा साहब को सम्मान दिया

अटल जी की सरकार रही हो या मोदी जी की, भाजपा की हर सरकार ने बाबा साहब को सम्मान दिया। बाबा साहब के पांच स्मारकों यानि पंचतीर्थ की परिकल्पना मोदी सरकार ने ही साकार की। दूसरी तरफ कांग्रेस जिसका इतिहास तुष्टिकरण के आधार पर भारत के वंचितों-दलितों का अपमान करने का रहा है। कौन नहीं जानता कि जवाहर लाल नेहरू नहीं चाहते थे कि डा. आंबेडकर संविधान सभा के अध्यक्ष बनें। 1952 में बम्बई उत्तर, 1954 के उपचुनाव में बाबा साहब को हराने का काम कांग्रेस ने ही किया। नेहरू बाबा साहब के विरोध में चुनाव प्रचार करने गये थे।

कांग्रेस ने बाबा साहब को चुनाव में हरवाया

कांग्रेस ने न केवल बाबा साहब को चुनाव में हराया, बल्कि उनके सहयोगी रहे नारायण काजोलकर को तोड़कर उन्हें बाबा साहब के खिलाफ चुनाव लड़वाया। कांग्रेस ने आजादी के बाद से देश में बाबा साहब का स्मारक नहीं बनने दिया, कभी पदम पुरस्कार नहीं दिया। कांग्रेस का जो काला अध्याय रहा है, वही परिपाटी सपा ने भी अपनाई। वर्ष 2012 में प्रदेश में जब सपा की सरकार बनी, तो उस सरकार के मुखिया ने कहा कि लखनऊ में सामाजिक न्याय के पुरोधाओं के जितने भी स्मारक बने हैं, उन्हें हटा दिया जाएगा। कन्नौज मेडिकल कालेज से बाबा साहब का नाम हटा दिया गया। कई अन्य संस्थाओं से बाबा साहब का नाम हटाया गया।

बसपा पर हमला नहीं किया

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार को अपनी प्रेसवार्ता में जहां कांग्रेस व सपा पर खूब बरसे, वहीं बसपा पर हमला करने से वह बचते रहे। हालांकि बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने केन्द्रीय गृहमंत्री की बाबा साहब पर टिप्पणी पर सख्त नाराजगयी जतायी और बयान दिया कि गृहमंत्री माफी मांगें। उनके माफी न मांगने पर ही मायावती ने मंगलवार को देशभर में अमित शाह के खिलाफ प्रदर्शन भी करवाया, मगर मुख्यमंत्री योगी ने मंगलवार को अपनी प्रेसवार्ता में एक बार भी बसपा या मायावती का जिक्र तक नहीं किया। मान्यवर कांशीराम और अन्य दलित पुरोधाओं के नाम स्मारकों व शिक्षण संस्थानों से हटाने के लिए वह सपा पर हमलावर रहे।

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