New Delhi news : सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने रविवार को परंपरा से हटकर कदम उठाया। कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के जज पद के लिए विचाराधीन उम्मीदवारों के साथ बातचीत की। कोलेजियम के इस कदम को न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में विकास का प्रतीक माना जा रहा है। यह घटनाक्रम इस महीने की शुरुआत में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज की विवादास्पद टिप्पणी से जुड़े विवाद के मद्देनजर सामने आया है।
सुप्रीमकोर्ट कोलेजियम की यह पहल न्यायिक नियुक्ति प्रक्रिया में एक अहम कदम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना सहित कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का मानना है कि प्रोमोशन के लिए कैंडिडेट के उपयुक्तता की व्यापक समझ हासिल करने के लिए संभावित जजों से व्यक्तिगत रूप से मिलना आवश्यक था। रिपोर्ट के अनुसार, मामले से अवगत एक व्यक्ति ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के साथ मीटिंग और जिस तरह से विचार-विमर्श आगे बढ़ा, उससे यह विचार मजबूत हुआ कि केवल फाइलों पर लिखे शब्दों पर निर्भर रहने के बजाय संभावित जजों से मिलना महत्वपूर्ण है।
मामले के जानकार एक व्यक्ति ने बताया कि हाईकोर्ट में प्रोमोशन के लिए अनुशंसित उम्मीदवारों की योग्यता और उपयुक्तता का आकलन करने के अलावा, उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलना उचित समझा गया, ताकि व्यक्ति के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके और उनके व्यक्तित्व का आकलन किया जा सके।
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट जज के विवादित बयान के बाद हुई पहल
यह कदम पारंपरिक जांच प्रक्रिया से अलग उठाया गया है। इसमें न्यायिक कार्य का मूल्यांकन, खुफिया ब्यूरो (आईबी) से इनपुट प्राप्त करना, राज्यपाल की तरफ से भेजे गए मुख्यमंत्री के विचारों पर विचार करना और न्याय विभाग की तरफ से की गई टिप्पणियों की समीक्षा करना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार उम्मीदवारों को बेहतर ढंग से समझने और विभिन्न फाइलों में उनके बारे में जो लिखा है, उससे परे जाकर पारंपरिक पद्धति से बदलाव करने का निर्णय लिया गया। हालांकि, पर्सनल कॉन्टेक्ट के इस तरीके को पहले भी अपनाया जा चुका है, लेकिन 2018 में तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कार्यकाल के दौरान इसे लागू किए जाने के बाद यह काफी हद तक चलन से हट गया था।