Mumbai news, Bollywood news : बॉलीवुड की दुनिया में फिल्मों में एक्टर-एक्ट्रेस का जितना महत्व है, उतना ही कॉमेडियन का भी। यदि हम बॉलीवुड के कॉमेडियन का इतिहास देखें तो उसमें जॉनी वॉकर का नाम आसानी से याद कर सकते हैं। जॉनी वॉकर की खासियत इस बात में है कि उनकी एक्टिविटी छोड़ दीजिए, स्क्रीन पर उनका चेहरा आते ही दर्शकों के मन में हंसी कुलबुलाने लगती है। इस कॉमेडियन ने अपने जीवन में छोटे-छोटे ऐसे संघर्ष किए, जो हमें आश्चर्य में डालते ही हैं, प्रेरणा भी देते हैं।
बदरूद्दीन काजी के नाम पहचाने जाने वाले इस युवा ने फिल्मी दुनिया में जॉनी वॉकर के रूप में अपनी अलग ही पहचान बनाई। शराबी का ऐसा रोल शायद फिल्मी दुनिया में किसी ने नहीं की होगी। 1926 में जन्मे जॉनी का निधन 2003 में हो चुका है, लेकिन आज भी दर्शकों के मन में वह जिंदा हैं। सच्चाई यह है कि उन्होंने जिंदगी में शराब को टच भी नहीं किया था।
इंदौर से था गहरा लगाव
जॉनी की स्कूली शिक्षा इंदौर शहर में हुई और उन्होंने कड़ा संघर्ष किया। इसी शहर में उन्होंने अपने संघर्षमय जीवन के दौरान अंडे और मूंगफली तक बेची। बाद में वे मुंबई चले गए, यहां भी बस में कंडक्टर बने। नाम और शोहरत हासिल करने के बाद भी इंदौर को कभी नहीं भूले और यहां पर आते-जाते रहे, इतना ही नहीं कई फिल्मी हस्तियों को भी यहां पर लाते रहे।
गुरुदत्त ने रखा था जॉनी नाम
बताया जाता है कि कई वर्षों तक इंदौर में रहने के बाद जॉनी वॉकर पिता के साथ बबई (मुंबई) चले गए। यहां भी संघर्ष करते हुए वहां से बस कंडक्टर बने और बस में मिमिक्री करते थे। बस में कंडक्टर का काम करने के दौरान ही उन्हें फिल्मी दुनिया में काम मिला। शुरुआत में एक फिल्म में भीड़ में खड़े होने का काम मिला। फिर गुरुदत्त ने उन्हें फिल्म बाजी में मौका दिया और उनका नाम जॉनी कर रखा। जॉनी वॉकर बड़वाली चौकी और छावनी इलाके में करीब 20 वर्षों तक रहे। मुंबई जाने के बाद भी वे यहां पर आते-जाते रहे उनकी बेटी का विवाह भी इंदौर में ही हुआ था।