New Delhi news : देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने 1991 के पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस ने इस कानून की संवैधानिक वैधता के खिलाफ भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है और कहा है कि देश की धर्मनिरपेक्षता के लिए यह कानून जरूरी है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा दाखिल हस्तक्षेप आवेदन में कहा गया है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून भारत में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है और इसके खिलाफ चुनौती धर्मनिरपेक्षता के स्थापित सिद्धांतों को कमजोर करने का एक प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण प्रयास है। बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने अपने आवेदन में कहा है कि इस मामले में हस्तक्षेप कर वह पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) कानून के संवैधानिक और सामाजिक महत्व पर जोर देना चाहती है, क्योंकि उसे आशंका है कि इसमें कोई भी बदलाव भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को खतरे में डाल सकता है, जिससे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पहुंच सकता है।”
कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध
कांग्रेस ने आगे कहा कि वह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है। इससे आगे कहा गया है कि जब कांग्रेस पार्टी और जनता दल लोकसभा में बहुमत में थे, तब यह अहम कानून बनाया गया था, ताकि देश की धर्मनिरपेक्षता और अखंडता कायम रहे। कांग्रेस ने अपने आवेदन में ये भी कहा है कि देश में सभी समुदायों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए पूजा स्थल कानून जरूरी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका अप्रत्यक्ष और संदिग्ध उद्देश्यों से दायर की गई है।