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हादसों से नाता! : डीएम रहते हुए विजय किरन आनंद के कार्यकाल में ही क्यों हो जाते हैं भगदड़ जैसे हादसे?

हादसों से नाता! : डीएम रहते हुए विजय किरन आनंद के कार्यकाल में ही क्यों हो जाते हैं भगदड़ जैसे हादसे?

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तीर्थयात्रियों की भीड़ का सही अनुमान क्यों नहीं लगा सके चार्टर्ड एकाउंटेंट रहे विजय किरन?

नौ साल पहले वाराणसी की भगदड़ में 25 मरे थे, अब महाकुम्भ में 30 की मौत

Lucknow news, prayagraj news :  नौ साल पहले वाराणसी में भगदड़ मची 25 मरे थे, अब महाकुम्भ में भगदड़ हुई 30 से ज्यादा मरे। दोनों ही हादसों में जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ही थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हुए हादसे और प्रदेश की योगी सरकार की प्रतिष्ठा का प्रश्न बने महाकुम्भ में हुई दुर्घटना बतौर जिलाधिकारी विजय किरन आनंद के कार्यकाल में ही होने के पीछे क्या कोई दुर्योग है? या फिर अपनी प्रशासनिक मशीनरी के साथ महाकुम्भ में उमड़ी भीड़ का सही आंकलन नहीं कर पाए विजय किरन आनंद? वैसे  बेंगलुरू में जन्में आईएएस विजय किरण आनंद एक योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट भी हैं? यह सवाल अब चर्चा का विषय बन गये हैं।

विजय किरण आनंद की गिनती अनुशासित और जनता के लिए काम करने वाले अधिकारी के रूप में होती है

वर्ष 2009 बैच के यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी विजय किरण आनंद की गिनती बेहद अनुशासित और जनता के लिए काम करने वाले अधिकारी के रूप में होती है। बागपत में एसडीएम के रूप में पहली तैनाती के बाद कई अन्य जिम्मेदारियां संभाली। 2016 में विजय किरन आनंद को वाराणसी का डीएम डीएम बनाया गया। इसी दौरान 16 अक्टूबर को वाराणसी में जय गुरुदेव के नाम से मशहूर पंकज महाराज की सत्संग से पहले निकाली गई यात्रा में भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में देखते ही देखते 25 लोगों की जान चली गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। भगदड़ के बाद कई अफसरों को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया था।

विजय किरन आनंद पर भी भगदड़ की गाज गिरी थी। उन्हें जिलाधिकारी पद से हटा दिया गया था। उस समय भी भगदड़ के लिए अनुमान से ज्यादा भीड़ जुटने को कारण माना गया था। भगदड़ ठीक गंगा पर बने पुल पर मची थी। किसी ने पुल टूटने की अफवाह फैलाई और लोग एक दूसरे को कुचलते हुए भागने लगे थे। इसी में 25 की जान चली गई थी।

वाराणसी की घटना की यादें ताजा हुईं

अब प्रयागराज में महाकुंभ को देखते हुए महाकुंभ नगर बसाया गया तो उसकी पूरी जिम्मेदारी विजय किरन आनंद को देते हुए यहां का डीएम बना दिया गया। डीएम होने के नाते मेले के सबसे बड़े अधिकारी यानी मेलाधिकारी भी विजय किरन आनंद ही हैं। महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ ने एक तरफ वाराणसी की घटना की यादें ताजा कर दी हैं तो दूसरी तरफ दोनों स्थानों पर विजय किरन आनंद का डीएम के पद पर रहना चर्चा का विषय बना हुआ है।

विजय किरण ने शुरुआत में उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एसडीएम के पद की जिम्मेदारी संभाली थी. बागपत में दो साल तक सेवा देने के बाद उनका ट्रांसफर बाराबंकी कर दिया गया, यहां उन्हें मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात किया गया।

मैनपुरी, उन्नाव, फिरोजाबाद, वाराणसी और शाहजहांपुर में तैनात रहे हैं

विजय किरण आनंद यूपी के मैनपुरी, उन्नाव, फिरोजाबाद, वाराणसी और शाहजहांपुर में जिलाधिकारी के पद पर तैनात रहे हैं। उन्हें माघ और कुंभ मेले की जिम्मेदारी दी गई थी। 2017 में उन्हें माघ मेला और 2019 में अर्ध कुंभ मेला का अधिकारी बनाया गया था. उन्होंने पंचायती राज, सिंचाई और बेसिक शिक्षा जैसे विभागों में भी अपनी सेवाएं दी। इस साल उन्हें अपने करियर की सबसे बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें महाकुंभ 2025 के लिए मुख्य अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है। कुंभ मेला 2025 में शामिल होने वालो लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेला जिला नाम का एक अस्थायी जिला स्थापित किया। इस जिले में चार तहसीलों के 67 गांव शामिल हैं और इसका प्रशासन आईएएस अधिकारी विजय किरण आनंद चला रहे हैं जिन्हें यहां का जिला मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया।

मेला अधिकारी की भूमिका उनके अनुभव का परिणाम मानी गयी।  उनकी इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सिविल सेवा दिवस पर प्रधानमंत्री पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया और पीएम ने उन्हें स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था।

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