New Delhi news : इसरो के ऐतिहासिक 100वें मिशन की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 27.30 घंटे की उल्टी गिनती सोमवार देर रात दो बजकर 53 मिनट पर शुरू हुई। श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह का प्रक्षेपण 29 जनवरी को होगा। अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में पहला मिशन होगा। उन्होंने 13 जनवरी को पदभार संभाला था। वैसे इसरो के इस मिशन से जो हासिल होगा, उससे आम लोगों को भी कई फायदे होंगे।
सूत्रों के मुताबिक बताया कि स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) अपनी 17वीं उड़ान में नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को लेकर यहां दूसरे लॉन्च पैड से 29 जनवरी को सुबह छह बजकर 23 मिनट पर प्रक्षेपित होगा। यह नेविगेशन उपग्रह ‘नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन’ (नाविक) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है। इसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भूभाग से लगभग 1,500 किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है। गौरतलब है कि इससे पहले 30 दिसम्बर 2024 को इसरो ने स्पैडेक्स मिशन लॉन्च किया था। इसरो का यह साल 2024 का आखिरी मिशन था।
नए मिशन के फायदे
इस मिशन की बदौलत आर्मी की लोकेशन के साथ जमीन, हवा और पानी में नजर रखी जा सकेगी।
इसके अलावा खेती और किसानी में भी यह काफी मददगार होगा। इससे इमरजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।मोबाइल में लोकेशन से जुड़ी सेवाओं को इंप्रूव किया जा सकेगा। इंटरनेट बेस्ड ऐप्स बेहतर होंगे।
वित्तीय संस्थानों, पॉवर ग्रिड और सरकारी एजेंसियों को टाइमिंग सर्विस मिल सकेगी।