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शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर संकट!, प्रत्यर्पण संधि की बाधाओं पर विचार कर रहा भारत

शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर संकट!, प्रत्यर्पण संधि की बाधाओं पर विचार कर रहा भारत

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New Delhi news :  बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत से प्रत्यर्पण की मांग पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह मांग बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने की है। इसमें द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि सहित कई बाधाएं हैं। भू-राजनीतिक कारकों को देखते हुए भारत अपने करीबी सहयोगी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, ‘राजनीतिक प्रकृति’ के अनुरोधों को लागू नहीं किया जा सकता। जानकार लोगों के अनुसार, भारत इस मामले में बहुत सतर्क है। सूत्रों ने बताया कि बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस सरकार हसीना का प्रत्यर्पण कराने के लिए दबाव की रणनीति अपना रही है, लेकिन ऐसा कोई भी कदम भारत के पड़ोसी देशों को गलत संदेश देगा।

हसीना ने भारत के हितों की रक्षा की, कट्टरपंथियों पर नकेल कसी और उप-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया। इसे देखते हुए भारत प्रत्यर्पण के अनुरोध का सावधानीपूर्वक स्टडी करेगा। इसमें महीनों लग सकते हैं। भारत का कहना है कि दलाई लामा सहित मेहमानों को अपने यहां रहने देने की पुरानी परपंरा रही है।

सूत्रों का कहना है कि अगर हसीना मौजूदा हालात में बांग्लादेश लौटती हैं तो उन पर झूठे मुकदमे चलाए जा सकते हैं। यह पहली बार नहीं है जब हसीना भारत में निर्वासन में हैं। 1975 में अपने पिता की हत्या के बाद वह यहां निर्वासन में थीं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हसीना की भारत में मौजूदगी से अवामी लीग का मनोबल बढ़ेगा, जो वापसी की योजना बना रही है।

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