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साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा : राष्ट्रपति

साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा : राष्ट्रपति

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New Delhi News : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन कर उभरे हैं। उन्होंने सभी से इस मुद्दे की गम्भीरता को समझने और इसे दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। राष्ट्रपति मुर्मू मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में 64वें राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय पाठ्यक्रम के संकाय और पाठ्यक्रम सदस्यों को सम्बोधित कर रही थीं।

• “गतिशील वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण कई चुनौतियां पेश करता है

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि गतिशील वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण कई चुनौतियां पेश करता है। हाल के दिनों में जिस तेज गति से घटनाएं सामने आयी हैं, उसका शायद एक दशक पहले अनुमान नहीं लगाया जा सकता था। इस प्रकार सभी अधिकारी; चाहे वे सिविल सेवाओं के हों या रक्षा सेवाओं के; उन्हें उन चुनौतियों और कमजोरियों के बारे में पता होना चाहिए, जिनका वे सामना करते हैं और उन शक्तियों के बारे में पता होना चाहिए, जो ऐसी चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती हैं। एक ताकत, जो उनके पास होनी चाहिए और जिसके बिना काम नहीं चल सकता, वह है अपने संगठनों, देशों और मानवता की भलाई के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में सक्षम होना। नवाचार एक और कारक है, जो उन्हें भविष्य के लिए तैयार रखेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि आज हमारी सुरक्षा चिन्ताएं क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण से आगे बढ़कर राष्ट्रीय कल्याण के अन्य क्षेत्रों, जैसे आर्थिक, पर्यावरणीय, ऊर्जा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा मुद्दों को भी शामिल करती हैं। इन चिन्ताओं को दूर करने के लिए गहन शोध की आवश्यकता है और एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

साइबर हमलों से मुकाबला के लिए सक्षम मानव संसाधन की आवश्यकता

राष्ट्रपति ने कहा कि साइबर हमले राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन कर उभरे हैं। साइबर हमलों से निपटने और उनका मुकाबला करने के लिए उच्च-स्तरीय तकनीकी हस्तक्षेप के साथ-साथ मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे के साथ-साथ एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित और विशेष मानव संसाधन की आवश्यकता होती है। यह उन क्षेत्रों में से एक है, जहां सिविल सेवाओं और सशस्त्र बलों को एक साथ मिल कर एक सुरक्षित राष्ट्रव्यापी प्रणाली बनाने में सक्षम होना चाहिए, जो ऐसे हमलों को विफल कर सके। उन्होंने कहा कि तकनीकी विकास ने देशों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को स्थापित करना और उसका उपयोग करना अनिवार्य बना दिया है। शासन प्रणालियों में भारी मात्रा में डेटा और संवेदनशील जानकारी भी उपलब्ध है, जिसे असुरक्षित नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने सभी से इस मुद्दे की गम्भीरता को समझने और इसे दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।

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