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दंडी स्वामी संतों ने प्रस्तुत किया नजीर, त्रिवेणी के बजाय पास के गंगा घाट में किया अमृत स्नान

दंडी स्वामी संतों ने प्रस्तुत किया नजीर, त्रिवेणी के बजाय पास के गंगा घाट में किया अमृत स्नान

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महाकुम्भ के मौनी अमावस्या पर उमड़ रही भारी भीड़ को लेकर शंकराचार्य और अखाड़ों ने श्रद्धालुओं के नाम जारी की अपील

Mahakumbh Nagar news : प्रयागराज महाकुम्भ के सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के पहले ही त्रिवेणी संगम में आस्था का जन सैलाब उमड़ पड़ा है। प्रशासन ने इसके लिए अपनी सभी तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। लेकिन इस स्नान पर्व के पहले आ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए हिन्दू सनातन धर्म के ध्वज वाहक अखाड़ों, शंकराचार्यों और दंड धारण करने वाले दंडी स्वामियों ने श्रद्धालुओं के लिए कई अहम घोषणाएं की हैं।

दंडी स्वामी संतों का ऐलान, मौनी अमावस्या में संगम में नहीं गंगा में करेंगे शाही स्नान

सभी संत और श्रद्धालु मौनी अमावस्या में त्रिवेणी संगम में अमृत स्नान की कामना लेकर महा कुम्भ आते हैं। लेकिन मौनी अमावस्या स्नान पर्व के पहले महा कुम्भ क्षेत्र में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए दंडी स्वामी समाज के संतों ने श्रद्धालुओं के हित में बड़ी पहल की है। अखिल भारतीय दंडी स्वामी परिषद के अध्यक्ष श्री मद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी महेशाश्रम जी महराज का कहना है कि परम्परा के अनुसार दंडी स्वामी श्री पंच दशनाम जूना, अग्नि, आवाहन और निरंजनी अखाड़े के साथ ही अमृत स्नान करते रहे हैं। प्रयागराज महाकुम्भ का मकर संक्रांति का अमृत स्नान भी दंडी स्वामी संतो ने जूना अखाड़े के साथ किया था लेकिन इस बार मौनी अमावस्या की भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं के हित में परिषद ने फैसला किया है कि मौनी अमावस्या के अमृत स्नान में दंडी समाज संगम के स्थान पर गंगा में ही स्नान करेगा। गंगा जी के दशाश्वमेध घाट में सुबह 4 बजकर 5 मिनट पर सभी दंडी स्वामी गंगा जी में अमृत स्नान करेंगे। श्रद्धालुओं के हित में दंडी स्वामी संतो के इस फैसले की संत समाज और श्रद्धालुओं में जमकर सराहना हो रही है।

बोले शंकराचार्य- मौनी अमावस्या में कुम्भ क्षेत्र में किसी भी स्थान पर डुबकी लगाने से बराबर पुण्य प्राप्ति का फल

आम श्रद्धालुओं में भले ही महाकुम्भ में मौनी अमावस्या पर त्रिवेणी संगम में स्नान का विचार मन में हो लेकिन धर्माचार्यों में इसे लेकर सहमति नहीं है। श्री गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी कहते हैं कि गंगा जी में कहीं भी डुबकी  लगाएं, त्रिवेणी में डुबकी लगाने का योग न भी हो तो भावना से फल मिल सकता है। यहां की जलवायु में त्रिवेणी का सन्निवेश है, यहां की हवा पवित्रता को लेकर बहती है। कहीं भी स्नान करें, समान पुण्य फल मिलता है।

अखाड़ा परिषद ने भी श्रद्धालुओं से की अपील

प्रयागराज महाकुम्भ के मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर 7 से 10 करोड़ लोगों के महाकुम्भ नगर डुबकी लगाने पहुंचने का अनुमान है। सभी श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में ही मौन होकर पुण्य की डुबकी लगाना चाहते हैं। इधर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने मौनी अमावस्या में त्रिवेणी स्नान करने आ रहे सभी श्रद्धालुओं और भक्तों से अपील की कि महाकुम्भ आ रहे श्रद्धालुओं को कुम्भ क्षेत्र में जहां भी निकट हो गंगा जी की धारा और घाट नजदीक दिखाई दे वहीं पर वह स्नान करें। सम्पूर्ण महा कुम्भ क्षेत्र में त्रिवेणी संगम स्नान करने के बराबर का ही पुण्य फल मिलता है।

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