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गलत उत्तर देने के लिए सर्वाधिक दोषी विभागीय मंत्री हैं

गलत उत्तर देने के लिए सर्वाधिक दोषी विभागीय मंत्री हैं

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सरयू राय बोले- सरकार ने मेरे सवालों का घोर आपत्तिजनक उत्तर दिया, प्रश्नोत्तर को लेकर मंत्री गंभीर नहीं

विधानसभाध्यक्ष संज्ञान लें, एमजीएम से संबंधित चार सवालों के भ्रामक जवाब दिये गये

सवाल और उनके जवाब

जल की व्यवस्था नहीं होने के कारण अस्पताल चालू नहीं हो रहा है, के जवाब में कहा गयाः एलएंडटी के द्वारा पानी आपूर्ति की अस्थायी व्यवस्था की गई है

सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड से अनुमति लिये बिना यहां पांच डीप बोरिंग स्थापित किये जा चुके हैं, के जवाब में कहा गयाः बोरिंग एलएंडटी द्वारा कराया गया है।

नये भवन के परिचालन की अनुमति दिये बिना इसमें कतिपय विभागों की ओपीडी सेवा चलाई जा रही है, के जवाब में कहा गयाः पुराने भवन को तोड़ कर नये अस्पताल का संचालन किया जाना है

नये एमजीएम अस्पताल भवन में जल की व्यवस्था नहीं करने और भूमिगत जल का नियम विरुद्ध उपयोग करने के लिए कौन दोषी है के जवाब में कहा गयाः भूमिगत जल के उपयोग से संबंधित नियम की प्रति जल संसाधान विभाग से मांगी गई है।

Jamshedpur news: जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने कहा है कि विधानसभा में उनके तारांकित प्रश्न का गुमराह करने वाला घोर आपत्तिजनक उत्तर सरकार ने दिया है। विधानसभा में अनुपूरक बजट पर बहस के दौरान कल उन्होंने विधानसभाध्यक्ष का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया और कहा कि विधानसभा सत्र शुरु होने के पहले सभाध्यक्ष द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों के सचिवों की बैठक बुलाई गई थी जिसमें निर्देश दिया गया था कि सत्र के दौरान विधानसभा सदस्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का सरकार के विभाग सही उत्तर दें। परंतु उनके तारांकित प्रश्न के उत्तर से स्पष्ट हो रहा है कि सरकारी अधिकारी विधानसभाध्यक्ष के निर्देश को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। श्री राय ने यह भी कहा कि वह इसके लिए केवल अधिकारियों को दोषी नहीं मानता बल्कि उनकी नजर में विभागीय मंत्री सर्वाधिक दोषी हैं। क्योंकि अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत प्रश्नोत्तर को विभागीय मंत्री ही सदन के सामने रखते हैं। य़दि सदन के सामने मंत्री गुमराह करने वाला उत्तर रखते हैं तो इसका अर्थ है कि वे प्रश्नोत्तर के प्रति गंभीर नहीं हैं। विधानसभाध्यक्ष को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

श्री राय ने कहा कि उनका तारांकित प्रश्न जमशेदपुर के एमजीएम कॉलेज एवं अस्पताल के नये भवन में पानी की व्यवस्था को लेकर था। उनके प्रश्न की पहली कंडिका थी कि जल की व्यवस्था नहीं होने के कारण अस्पताल चालू नहीं हो रहा है। इसके उत्तर में सरकार ने कहा कि एलएंडटी के द्वारा पानी आपूर्ति की अस्थायी व्यवस्था की गई है। सरकार ने सीधा स्वीकार नहीं किया कि अस्पताल नहीं चल रहा है। प्रश्न की दूसरी कंडिका में श्री राय ने पूछा था कि सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड से अनुमति लिये बिना यहां पांच डीप बोरिंग स्थापित किये जा चुके हैं। इसका गलत उत्तर सरकार ने दिया कि बोरिंग एलएंडटी द्वारा कराया गया है और पानी के लिए 26 जून 2023 को मानगो नगर निगम को 4,27,60,680 (चार करोड़ 27 लाख 60 हजार 680) रुपये दिये गये तथा कार्य प्रक्रियाधीन है। सरयू राय ने कहा कि यह सफेद झूठ है। नगर निगम ने हाथ झाड़ लिया है कि उसके पास नागरिक उपभोक्ताओं के अलावा किसी अन्य कार्य में देने के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। यह सफेद झूठ उत्तर सरकार की विकृत मानसिकता को प्रदर्शित करता है और चिंताजनक है।

सरयू राय ने कहा कि इसी तरह प्रश्न की कंडिका तीन का उत्तर भी भ्रामक तरीके से दिया है। उन्होंने पूछा कि नये भवन के परिचालन की अनुमति दिये बिना इसमें कतिपय विभागों की ओपीडी सेवा चलाई जा रही है। सरकार यह स्वीकार करने में हिचकिचा रही है कि परिचालन की अनुमति (सीओटी) लिये बिना गैर कानूनी तरीके से भवन का उपयोग किया जा रहा है। प्रश्न के कंडिका चार में उन्होंने पूछा कि नये एमजीएम अस्पताल भवन में जल की व्यवस्था नहीं करने और भूमिगत जल का नियम विरुद्ध उपयोग करने के लिए कौन दोषी है? सरकार ने उत्तर दिया कि भूमिगत जल के उपयोग से संबंधित नियम की प्रति जल संसाधान विभाग से मांगी गई है। सरयू राय ने कहा कि स्पष्ट है कि स्वास्थ्य विभाग ने भूमिगत जल के उपयोग के लिए सेंट्रल ग्राउंड बोर्ड से अनुमति नहीं ली और पांच साल से, जब से अस्पताल बन रहा था, इस बीच अस्पताल चलाने के लिए पानी की व्यवस्था करने की कोई कोशिश स्वास्थ्य विभाग ने नहीं किया। यदि सरकार का स्वास्थ्य विभाग इसी भांति लापरवाह रहेगा और खुद नियम विरुद्ध काम करेगा तो इसका नतीजा वही होगा जो एमजीएम अस्पताल के नए भवन के लिए हो रहा है।

श्री राय ने कहा कि सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि अस्पताल के लिए पानी की अस्थायी व्यवस्था के नाम पर वहां 10 डीप बोरिंग कराने की योजना है जिसमें से पांच डीप बोरिंग हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि एमजीएम अस्पताल का नया भवन घनी आबादी से सटे हुए है। यदि यहां पर 10 डीप बोरिंग होंगे तो समीपवर्ती नागरिक इलाकों के बोरिंग, चापाकल और कुएं सूख जाएंगे क्योंकि अत्यधिक भूमिगत जल के दोहन से जलस्तर नीचे चला जाएगा। यह कृत्य जनविरोधी है। बिना भवन का हैंडओवर लिये, भवन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से परिचालन की अनुमति (कंसेंट टू ऑपरेट-सीओटी) लिये बिना तथा अस्पताल निर्माण के लिए भूमिगत जल का उपयोग नहीं करने और केवल सतह जल का उपयोग करने की शर्त पर मिली पर्यावरण सहमति का उल्लंघन सरकार द्वारा किये जाने का यह ज्वलंत उदाहरण है। विधानसभा को गलत और भ्रामक उत्तर देकर स्वास्थ्य विभाग अपना पल्ला झाड़ ले सकता है परंतु स्वास्थ्य विभाग और ठेकेदार एलएंडटी कानून के शिकंजा से नहीं बच सकते हैं।

(नोटःविधानसभा के पटल पर कल रखी गई मेरे तारांकित प्रश्न एवं उनके उत्तर की प्रति निम्नवत है।)

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