Dharm adhyatm, dhanvantari, Dhanteras and dipawali: दिवाली दीपों का पर्व है और उसके एक दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है, तो धनतेरस पर धन्वंतरी की। धनतेरस वास्तव में खरीदारी का पर्व है। इस दिन अपने-अपने समर्थ के अनुसार लोग सोना-चांदी, हीरे-मोती, वाहन और अन्य चीजों की खरीदारी करते हैं। जमीन-जायदाद की खरीदारी भी लोग करते हैं। पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। अब जानिए, कौन हैं धन्वंतरी और क्या है इनका महत्व।
समुद्र मंथन और अमृत कलश
हमारे प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथों मैं यह उल्लेख मिलता है कि धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। पौराणिक कथा के अनुसार जिस अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था, उसे धन्वंतरि ही लेकर बाहर निकले थे। इन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा क्षेत्र में देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता है। इसलिए धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं।
इसलिए इस दिन की जाती है इनकी पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मंथन से एक-एक कर पूरे 14 रत्न बाहर निकले थे, जिसमें सबसे आखिर में अमृत कलश निकला था, जिसे धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे। जिस दिन धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का दिन था। इसलिए धनतेरस के दिन इनकी पूजा की जाती है।