Home
National
International
Jharkhand/Bihar
Health
Career
Entertainment
Sports Samrat
Business
Special
Bright Side
Lifestyle
Literature
Spirituality

आठ लाख संविदाकर्मियों को बढ़ा हुआ वेतन पाने के लिए करना होगा इंतजार

आठ लाख संविदाकर्मियों को बढ़ा हुआ वेतन पाने के लिए करना होगा इंतजार

Share this:

▪︎ श्रम व सेवायोजन विभाग ने प्रस्ताव सीएम को भेजा, अभी न्यूनतम वेतन निर्धारण बोर्ड गठित करने का होगा फैसला

▪︎ न्यूनतम वेतन का परीक्षण कर संस्तुति देगा बोर्ड, फिर उन संस्तुतियों पर प्रदेश सरकार फैसला लेगी

Lucknow news : प्रदेश के करीब आठ लाख संविदा कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन पाने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दिये गये निर्देशों के अनुपालन के लिए प्रदेश सरकार ने तैयारी शुरु कर दी है। राज्य के श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने इस बारे में एक प्रस्ताव बनाकर मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज भी दिया है। प्रदेश के श्रम व सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने ‘विश्ववार्ता’ से खास बातचीत में कहा कि आउटसोर्स कर्मियों का न्यूनतम वेतन पुर्ननिर्धारित करने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। इस प्रस्ताव में इन आउटसोर्स कर्मियों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारण बोर्ड गठित करने का निर्णय लिया जाएगा।

इनको मिलेगा लाभ

5 लाख आउटसोर्स कर्मचारी

25 हजार 223 अनुदेशक

1.20 लाख संविदाकर्मी

3 हजार दैनिक वेतनभोगी

1 लाख 43 हजार 450 शिक्षामित्र

यह बोर्ड आउटसोर्स कर्मियों को इस समय मिल रहे न्यूनतम वेतन का परीक्षण करने के बाद अपनी संस्तुति देगा, फिर उन संस्तुतियों पर प्रदेश सरकार फैसला लेगी। सूत्रों के मुताबिक न्यूनतम मजदूरी की दर से या उससे कम वेतन पाने वाले संवर्गों के कर्मचारियों को एक समान 17 हजार से 20 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिल सकता है, ताकि ऐसे सभी कर्मचारी, जो इस श्रेणी में हैं, वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें।

वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है

इसके लिए तैयार प्रस्ताव को वित्त विभाग से मंजूरी मिल चुकी है। अब इसे जल्द कैबिनेट से पास कराने की तैयारी है। राज्य सरकार ने अलग-अलग विभागों में तैनात संविदाकर्मियों से लेकर आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से तैनात कर्मचारियों व दैनिक वेतन भोगियों को केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में तय की गई न्यूनतम मजदूरी की राशि के बराबर वेतन या मानदेय देने का निर्णय किया था। इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है।

इसमें शिक्षामित्र और अनुदेशक भी शामिल

प्रस्ताव में कुछ और संवर्गों को भी इसका लाभ देने के उद्देश्य से उन्हें भी जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें शिक्षामित्र और अनुदेशक भी शामिल हैं। सरकार का मानना है कि वर्तमान में श्रम विभाग के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जो न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है, वह उपयुक्त नहीं है। लिहाजा इसमें वृद्धि करने की जरूरत है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार यह कदम उठाने जा रही है।
वर्तमान में शिक्षामित्रों को 10 हजार रुपए और अनुदेशकों को नौ हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है। अकुशल श्रमिक को 10,701 रुपए, अर्धकुशल को 11,772 रुपए प्रतिमाह तथा कुशल को 13,186 रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। हाल ही में राज्य सरकार ने शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय वापसी और अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की सुविधा देने का शासनादेश जारी कर उन्हें बड़ी राहत दी है।

Share this: