Mumbai news, Bollywood news : मान लीजिए, अगर बॉलीवुड की किसी फिल्म में केवल हीरो-हीरोइन हो, अच्छी स्टोरी हो, अच्छा डायरेक्शन हो, अच्छा गीत-संगीत हो, मगर खलनायक नहीं हो तो मनोरंजन का मजा अधूरा रह जाएगा। जिस प्रकार से बॉलीवुड की फिल्म इंडस्ट्री में सिनेमा बनाने की एक पूरी टीम मेहनत करती है और उस टीम में खलनायक की एक्टिंग का भी बड़ा महत्व होता है। अजीत, प्रेम चोपड़ा और रंजीत की खलनायकी फिल्मों में बहुत याद की जाती है। क्या आप जानते हैं कि अपने जमाने के खलनायक केन सिंह की क्या खासियत थी। कहा जाता है कि ऐसा खलनायक जो अपनी आंखों के अंदाज से सब कुछ बोल देता था और बिना बोले हुए एक्टिंग की उत्कृष्टता कायम कर देता था, उसका नाम केएन सिंह है।
गुजरे हुए हो चुके 25 साल
केन सिंह को गुजरे 25 वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन उस जमाने के सिनेमा प्रेमी आज भी उन्हें याद करते हैं। 1908 में जन्मे केन सिंह का निधन साल 2000 में हुआ था। ‘हिम्मत’, ‘दोस्ताना’, ‘जादू टोना’, ‘पगला कहीं का’, ‘वचन’ बागबान, सिकंदर, हावड़ा ब्रिज, एन इवनिंग इन पेरिस और अन्य कई फिल्मों को देखकर इस खलनायक की एक्टिंग का अंदाजा लगाया जा सकता है। पूरा नाम था कृष्णा निरंजन सिंह। उन्होंने लगभग 200 फिल्मों में काम किया था।
वकील बनने या फौज में भर्ती होने की थी तमन्ना
कहा जाता है कि केएन सिंह में एक्टिंग की क्वालिटी तो जरूर थी, लेकिन वह दबी हुई थी। अपने जीवन में संघर्ष के दौरान उन्हें रोजगार की जरूरत थी उनकी दिल्ली तमन्ना थी कि वह वकील बने या फौज में भर्ती हो जाएं लेकिन यह उनकी तमन्ना पूरी नहीं हुई ईश्वर ने उन्हें एक्टिंग की दुनिया में जगह दे दी।
1936 में रिलीज हुई थी पहली फिल्म
मिली जानकारी के अनुसार, केएन सिंह ने अपने अभिनय की शुरुआत नायक के रूप में की थी। उनकी पहली फिल्म ‘सुनहरा संसार‘ थी। यह 1936 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में उन्होंने एक डॉक्टर की छोटी सी भूमिका निभाई थी। इसके बाद धीरे-धीरे वह खलनायक की की एक्टिंग में आगे बढ़े। एक साक्षात्कार में जब पूछा गया था कि आप आज के नए कलाकारों के बारे में क्या कहना चाहेंगे, तो कहा-’जितने पुराने लोग थे हमारे समय के किसी ने ये फिक्र नहीं की, कि कल क्या होगा। जो बच्चे अब आए हैं 70 के बाद वो बहुत समझदार हैं। उन्होंने अपनी आगामी दो पीढ़ियों का भी इंतजाम कर लिया है। ये बात वाकई काबिल-ए तारीफ है।