Categories


MENU

We Are Social,
Connect With Us:

☀️
Error
Location unavailable
🗓️ Wed, Apr 2, 2025 🕒 8:45 PM

इसी महीने पाक जाएंगे विदेश मंत्री जयशंकर, आखिरी बार सुषमा स्वराज गई थीं पाकिस्तान

इसी महीने पाक जाएंगे विदेश मंत्री जयशंकर, आखिरी बार सुषमा स्वराज गई थीं पाकिस्तान

Share this:

New Delhi news :  भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर आगामी 15-16 अक्टूबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जाएंगे। यह महत्वपूर्ण बैठक पाकिस्तान में हो रही है, जिसमें क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद से निपटने जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। एससीओ में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान के अलावा, मध्य एशिया के अन्य देश शामिल हैं। यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को लेकर सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम करता है।

आखिरी बार सुषमा स्वराज गई थीं पाक

प्रधानमंत्री मोदी आखिरी बार साल 2015 में एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे। तब उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। इसके बाद दिसंबर 2015 में भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी पाकिस्तान दौरे पर गई थीं।

उनके इस दौरे के बाद से भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की है। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। तब से दोनों देशों के बीच कोई हाई-लेवल बैठक नहीं हुई है।

कैसे मिलती है एससीओ की अध्यक्षता?

भारत ने 30 अगस्त को पुष्टि करते हुए बताया था कि उसे इस्लामाबाद में होने वाली एससीओ परिषद की आगामी बैठक के लिए पाकिस्तान से निमंत्रण मिला है। शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता हर साल संगठन के सदस्य देशों के बीच बदलती है। इसका मतलब है कि हर सदस्य देश बारी-बारी से एक साल के लिए एससीओ की अध्यक्षता करता है। अध्यक्षता की अवधि एक साल होती है और इसका समापन उस साल की शिखर बैठक के आयोजन के साथ होता है। जिस देश के पास एससीओ की अध्यक्षता होती है, वह उस वर्ष के दौरान संगठन की सभी प्रमुख बैठकों, कार्यक्रमों और आयोजनों की मेजबानी करता है और एससीओ के एजेंडे को आगे बढ़ाने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाता है।

पीएम मोदी के जाने के संकेत नहीं

पाकिस्तान अक्टूबर में दो दिवसीय व्यक्तिगत एससीओ शासनाध्यक्षों की बैठक की भी मेजबानी करेगा। हालांकि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत तौर पर शामिल होने का कोई संकेत नहीं है। इस्लामाबाद शिखर सम्मेलन की बैठक से पहले मंत्रिस्तरीय बैठक और वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें होंगी, जो एससीओ सदस्य देशों के बीच वित्तीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग पर केंद्रित होंगी। एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बन गए। पिछले साल जुलाई में भारत द्वारा आयोजित समूह के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में ईरान भी एससीओ का स्थायी सदस्य बन गया।

क्या है एजेंडा?

एससीओ बैठक में प्रमुख रूप से आतंकवाद, कट्टरपंथ, सीमा सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय व्यापार को लेकर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है। इसके साथ ही सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग और साझेदारी को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। पाकिस्तान में इस बैठक का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच कई कूटनीतिक विवाद चल रहे हैं, खासकर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर।

भारत की भूमिका पर नजरें

भारत पिछले कुछ वर्षों में एससीओ में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है। आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत ने अपने कड़े रुख को इस मंच पर बार-बार स्पष्ट किया है। इसके अलावा, भारत का जोर क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देने और संपर्क के माध्यम से विकासशील देशों के साथ सहयोग करने पर भी रहा है।

भारत-पाकिस्तान संबंधों पर असर?

पाकिस्तान में इस बैठक में भारत की भागीदारी से यह भी देखा जा रहा है कि क्या इससे भारत-पाकिस्तान संबंधों में कुछ नरमी आएगी या यह केवल एक औपचारिकता के तौर पर रहेगा। दोनों देशों के बीच बातचीत के कोई संकेत फिलहाल नहीं हैं, लेकिन एससीओ जैसे मंच पर मुलाकात से आपसी संवाद का एक अवसर जरूर बन सकता है।

Share this:

Latest Updates