रांची : झारखंड में अब कम बच्चे छोड़ रहे स्कूल छोड़ रहे हैं। यहां बच्चों की ड्राप आउट की दर में अप्रत्याशित कमी देखी गई है। केंद्र द्वारा जारी यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फारमेशन सिस्टम फार एजुकेशन प्लस की 2023-24 की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि जैसे-जैसे बच्चे ऊपरी कक्षाओं में जाते हैं, उनके स्कूल छोड़ने की संभावना बढ़ती जाती है।
किस स्तर पर कितने प्रतिशत बच्चे हो रहे ड्रॉपआउट
रिपोर्ट के अनुसार प्राथमिक कक्षाओं में स्कूल छोड़ने की दर राज्य में महज 0.9 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 1.9 प्रतिशत है। दूसरी तरफ, उच्च प्राथमिक कक्षा छह से आठ में बच्चों को स्कूल छोड़ने की दर झारखंड में नौ प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 5.2 प्रतिशत ही है। वहीं, माध्यमिक कक्षाओं कक्षा नौ से 12 के दौरान राज्य के 15.16 प्रतिशत विद्यार्थी स्कूल छोड़ देते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 14.1 प्रतिशत है।
फाउंडेशन स्तर पर बढ़ा ग्रास इनरालमेंट रेशियो, 35 प्रतिशत बच्चों की नहीं होती स्वास्थ्य जांच
राज्य सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस दर में कमी लाने के लिए कई प्रयास भी किए। रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में फाउंडेशन स्तर पर ग्रास इनरालमेंट रेशियो 30, मिडिल में 83 तथा माध्यमिक में 41 प्रतिशत है। रिपोर्ट में राज्य के सरकारी सहित अन्य स्कूलों में बच्चों के होनेवाले मेडिकल चेकअप के आंकड़े भी प्रस्तुत किए गए हैं। इसके अनुसार राज्य के 35 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच एक वर्ष में नहीं हो पाती।