आने वाली अमेरिकी सरकार बना सकती है दबाव, कंपनी पर मोनोपॉली के गलत इस्तेमाल का आरोप
New Delhi news : गूगल को अपना इंटरनेट ब्राउजर गूगल क्रोम बेचना पड़ सकता है। दरअसल, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस यानी डीओजे की ओर से गूगल क्रोम इंटरनेट ब्राउजर को बेचने का दबाव बनाया जा सकता है। कोर्ट की तरफ से इस मामले में फैसला सुनाया जा सकता है।
गूगल सर्च पर गलत तरीके से मार्केट पर कब्जा करने के आरोप लगे हैं। आने वाली अमेरिकी सरकार गूगल क्रोम की मोनोपॉली को कम करना चाहती है। इसीलिए यह कदम उठाया जा सकता है।
एंटी-ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का दोषी माना था
अगस्त में आए एक फैसले में अमेरिका के एक कोर्ट ने गूगल को एंटी-ट्रस्ट नियमों के उल्लंघन का दोषी माना था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गूगल ने सर्च और विज्ञापन बाजार में अपने एकाधिकार का गलत फायदा उठाया। इससे यह साबित होता है कि कंपनी ने अपने एकाधिकार को बनाए रखने के लिए काम किया है। इस समय गूगल के पास एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के अलावा गूगल क्रोम ब्राउजर और एआई जेमिनी जैसी सर्विसेज हैं। कंपनी अपने गूगल सर्च का एल्गोरिदम इस्तेमाल करके यूजर्स को टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट दिखाती है। दुनियाभर में कुल इंटरनेट सर्च का 65 प्रतिशत गूगल क्रोम ब्राउजर से होता है।
एपल सफारी का 21 फीसदी मार्केट शेयर
इसके बाद एपल सफारी का 21 फीसदी मार्केट शेयर है। फायरफॉक्स समेत अन्य ब्राउजर की हिस्सेदारी काफी कम है। गूगल क्रोम की बढ़ती हिस्सेदारी की मुख्य वजह एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम है। दुनिया के ज्यादातर यूजर्स एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं, जिसमें गूगल क्रोम डिफॉल्ट ब्राउजर के तौर पर रहता है।
शेयर में 1.25 फीसद गिरावट
गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के शेयर में बुधवार को 1.25 प्रतिशत की तेजी आई। अभी कंपनी का मार्केट कैप बढ़कर 2.16 लाख करोड़ डॉलर (182.40 लाख करोड़ रुपए) है। अल्फाबेट मार्केट कैप के लिहाज से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है।