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हिमाचल में आईजी समेत 8 पुलिसवालों को उम्रकैद, हिरासत में मौत के मामले में गिरी गाज

हिमाचल में आईजी समेत 8 पुलिसवालों को उम्रकैद, हिरासत में मौत के मामले में गिरी गाज

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Chandigarh news : चंड़ीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने हिरासत में बलात्कार और रेप के आरोपी की मौत के मामले फैसला सुनाया है। 2017 में हुए इस मामले में कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी समेत आठ पुलिसवालों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में मारे गए व्यक्ति पर आरोप था कि उसने 4 लोगों के साथ मिलकर कोटखाई इलाके में एक नाबालिग लड़की के साथ पहले तो रेप किया फिर उसे बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया।

अदालत ने इन्हें दी है सजा

अदालत के फैसला सुनाने के पहले दोषियों ने गुहार लगाई कि उन्हें अपने परिवारों का भरण-पोषण भी करना है। ऐसे में कम से कम सजा सुनाई जाए। जज ने स्पष्ट करते हुए कहा कि यह दुर्लभतम केस नहीं है ऐसे में मृत्यु दंड नहीं देकर उम्रकैद दी जा रही है। आरोपी की हिरासत के मामले में पूर्व आईजी जैदी के अलावा कोटखाई के पूर्व स्टेशन हाउस अधिकारी मनोज जोशी, हिमाचल प्रदेश पुलिस के अधिकारी राजिंदर सिंह, दीपचंद शर्मा, मोहन लाल, सूरत सिंह, रफी मोहम्मद और रणजीत सिंह स्टेटा को भी सजा मिली। इस मामले में अदालत ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दंदुभ वांगियाल नेगी को रिहा कर दिया है।

जानें क्या है पूरा मामला

हिमाचल के कोटखाई इलाके में अगस्त 2017 में इन आठों आरोपियों को सूरज सिंह नाम के एक आरोपी की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। सूरज सिंह के ऊपर आरोप था कि वह 4 जुलाई 2017 को 16 साल की लड़की की रेप के बाद हत्या करने वाले 4 लोगों में शामिल था। पुलिस की गिरफ्तारी के बाद 18 जुलाई को सूरज कोटखाई जेल में मृत अवस्था में मिला, जिसके बाद हिमाचल हाईकोर्ट ने दोनों मामलों की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने कोर्ट में दायर अपनी रिपोर्ट में बताया कि रेप और हत्या के मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों की एक टीम ने गिरफ्तारी के बाद से ही सूरज सिंह को जमकर प्रताड़ित किया, जिससे उसको गंभीर चोटें आईं और इसकी वजह से उसकी मौत हो गई। इस रिपोर्ट पर शिमला पुलिस ने कहा कि आरोपी की मौत साथी कैदी के साथ झगड़े के दौरान हुई। हालांकि सीबीआई ने उनकी इस बात पर भरोसा न करते हुए अगस्त में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जहूर जैदी को एफआईआर होने के बाद निलंबित कर दिया गया था, लेकिन 2023 में राज्यपाल ने उनके निलंबन को रद्द कर दिया था। अपनी सजा के समय पर वह हिमाचल प्रदेश में आईजी संचार के रूप में कार्यरत थे।

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