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ऐतिहासिक मिशन : समुद्रयान के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खोला खजाना

ऐतिहासिक मिशन : समुद्रयान के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खोला खजाना

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर उतारने की तैयारी

New Delhi news :  पहली फरवरी को नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में अपना 11 वां बजट पेश किया। मिडिल क्लास को 12 लाख तक टैक्स फ्री की सुविधा से लेकर महिलाओं, किसानों और युवाओं के लिए कई घोषणाएं की गईं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न राज्यों और विभागों के लिए भी भारी-भरकम बजट की घोषणा की। साथ ही सीतारमण ने भारत के महत्वकांक्षी मिशन समुद्रयान के लिए 600 करोड़ आवंटित किए हैं।समुद्रयान पूरी तरह से एक स्वदेशी परियोजना है। इसे मत्स्य 6000 सबमर्सिबल नाम दिया गया है। यह तीन इंसानों को समुद्र से 6 किलोमीटर नीचे ले जाएगा, ताकि गहराईयों में रिसर्च की जा सके।

भारत का मिशन समुद्रयान डीप ओशन मिशन के तहत तैयार किया जा रहा है। इस मिशन को सरकार का पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय संचालित कर रहा है। पहली फरवरी को पेश किए गए केंद्रीय बजट में मंत्रालय को 3,649.81 करोड़ रुपए आवंटित किए गए, इसमें 600 करोड़ रुपए सिर्फ समुद्रयान मिशन के लिए हैं। वित्त मंत्री ने मिशन मौसम के लिए भी 1,329 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक पहल है। इसका उद्देश्य मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं को बेहतर बनाना है। चंद्रयान और गगनयान की तरह समुद्रयान भी भारत के महत्वपूर्ण मिशन में से एक है। यह पूरी तरह से स्वदेशी मिशन है। इसे बनाने में टायटेनियम एलॉय का इस्तेमाल किया गया है। इस मिशन का काम तीन वैज्ञानिकों को समुद्र की गहराईयों में ले जाना है। यह यान इंसान को 12 घंटे के लिए 6 किलोमीटर अंदर ले जाएगा, जहां पहुंचकर वैज्ञानिक समुद्र के नीचे रिसर्च और खोज कर सकें। डीप ओशन मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्री संसाधनों का पता लगाना और उनके सतत उपयोग के लिए तकनीकों का विकास करना है। इसमें 96 घंटे का इमरजेंसी इंड्यूरेंस शामिल है।

भारत इस साल के अंत तक चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी  द्वारा विकसित समुद्रयान को समुद्र में 500 मीटर की गहराई तक भेजने की योजना बना रहा है। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो अगले साल इसे 6 हजार मीटर (6 किलोमीटर) की गहराई पर ले जाया जाएगा।

इस मिशन में गहरे समुद्र में खनन, मानवयुक्त सबमर्सिबल और अंडरवाटर रोबोटिक्स के लिए तकनीकों का विकास, महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास और गहरे समुद्र की जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार शामिल हैं। इसमें गहरे समुद्र का सर्वेक्षण और रिसर्च के अलावा समुद्र से ऊर्जा और मीठे पानी का उत्पादन और समुद्री जीव विज्ञान के लिए उन्नत मरीन स्टेशन भी शामिल है।

गडकरी के मंत्रालय को मात्र 2.9 लाख करोड़

केंद्रीय बजट 2025-26 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए 2.9 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। यह राशि वित्तीय वर्ष 2025 के लिए संशोधित अनुमान से महज 2.4% अधिक है। पिछले 10 वर्षों के बजट को देखें तो यह सबसे कम वृद्धि है। वहीं, रक्षा बजट में करीब 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। सूत्रों का कहना है कि इस मामूली वृद्धि का मुख्य कारण यह है कि मंत्रालय के तहत कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं अभी कार्यान्वयन के चरण में नहीं हैं और अब तक कोई नई प्रमुख हाईवे विकास योजना को मंजूरी नहीं दी गई है। रक्षा बजट में करीब 60 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। रक्षा मंत्रालय को इस बार 6.81 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है। पिछली बार की तुलना में इसमें 9.53 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि विशेषज्ञ इस बढ़ोतरी को कम मान रहे हैं, क्योंकि अब भी यह जीडीपी के महज 1.91 के करीब ही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान रक्षा क्षेत्र का आवंटन 6.21 लाख करोड़ रुपए है। जिसमें 1.72 लाख करोड़ रुपए रक्षा आधुनिकीकरण के लिए है। यानी यह राशि रक्षा साजो-समान की खरीद के लिए है। हालांकि वित्त वर्ष के दो ही महीने शेष बचे हैं लेकिन, आधुनिकीकरण के मद के 13500 करोड़ रुपए खर्च नहीं हो पाए हैं। संशोधित बजट अनुमान से यह पता चलता है।

बीते पांच वर्ष का रक्षा बजट

2025-26 में 6.81 लाख करोड़

2024-25 में 6,22 लाख करोड़

2023-24 में 5.94 लाख करोड़

2022-23 में 5.25 लाख करोड़

2021-22 में 5.78 लाख करोड़

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