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आज रात 10:45 बजे के बाद होलिका दहन, कल के गैप के बाद होली के रंग में…

आज रात 10:45 बजे के बाद होलिका दहन, कल के गैप के बाद होली के रंग में…

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Ranchi news, holika Dahan : जब कभी भी होली के एक दिन पहले होलिका दहन की चर्चा चलती है, तो कभी- कभार ज्योतिषीय दृष्टि से यह विवाद खड़ा हो जाता है कि होलिका दहन के अगले दिन होली मनाई जाए या एक दिन गैप के बाद। जब कभी भी ऐसी स्थिति आती है तो उसके बीच भद्रा आता है। भद्रा की स्थिति में अगर होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मध्य रात्रि के बाद तक चलता है, तो उसके ठीक अगले दिन ज्योतिषाचार्य होली नहीं मानने की तिथि निर्धारित करते हैं। एक दिन गैप के बाद ही होली मनाने की परंपरा रही है।

बुराइयों को जलाइए

हमेशा यह याद रखिए कि हर साल होलिका दहन का फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन पड़ता है। यह बुराई को जलाकर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। जिस घर में होलिका दहन होती है, उस घर में कभी भी नकारात्मक शक्तियां का प्रभाव नहीं होता है।

मध्य रात्रि 12.45 बजे तक रहेगा होलिका दहन का समय

इस साल आज गुरुवार यानी 13 मार्च को होलिका दहन है। गुरुवार 13 मार्च सुबह 10.04 बजे से भद्रा की शुरुआत होगी। समापन रात 10.30 बजे होगी। होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त 10.54 बजे के बाद है। यह मध्य रात्रि 12.45 बजे तक रहेगा। अब ऐसी स्थिति में यदि कोई कहता है कि 14 को होली मनाई जाए, तो ग्रह नक्षत्र की दृष्टि से इसे सही नहीं माना जा सकता है। ज्योतिष आचार्य जैसा बता रहे हैं, उसके अनुसार 15 मार्च को होली मनाई जाएगी। भद्रा काल के समय शुभ और मांगलिक काम नहीं करने की सलाह ज्योतिष के जानकारी देते हैं। अब हम जानते हैं होलिका दहन की पूजन विधि के बारे में।

5, 7 या 11 बार सूत लपेटने की परंपरा

हमारी परंपरा में होलिका दहन की प्रक्रिया शुरू करने के पहले के उसके चारों ओर पांच, सात या 11 बार सूत को लपेटना चाहिए। दक्षिण दिशा में बैठकर एक कलश में जल भरकर ॐ होलिकाय नमः मंत्र का जाप करने के साथ प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती। फिर अंत में होलिका का दहन करना। रोली, अक्षत, चंदन लगाकर घर पर बने पकवान का भोग लगाना चाहिए। होलिका दहन के बाद इसकी परिक्रमा करनी चाहिए। मतलब बुराइयों का नाश कर अच्छाइयों को अपनाना चाहिए।

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