लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन से तगड़ा झटका खाने के बाद भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं थे उपचुनाव
Lucknow news : लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन से यूपी में तगड़ा झटका खाने के बाद विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनाव भाजपा के लिए किसी कड़े इम्तहान से कम नहीं था। पार्टी को यह साबित करना था कि लोकसभा चुनाव में हुआ नुकसान एक वक्ती आघात था। लिहाजा पार्टी ने उपचुनाव को एक चैलेंज के तौर पर लिया और ठोस व सुविचारित रणनीति के साथ मुख्यमंत्री योगी के करिश्माई नेतृत्व और वोटर के दिल-दिमाग पर छा जाने वाले उनके ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे की बदौलत उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए नौ में से छह सीटों पर जीत दर्ज की और एक सीट पर भाजपा के सहयोगी रालोद का प्रत्याशी विजयी रहा। बहुसंख्यक मतदाताओं की एकजुटता का संदेश देने वाले नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का जादू ऐसा चला कि भाजपा ने मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर भी एकतरफा जीत हासिल की। यह परिणाम कई लोगों को चौंका रहा है। आकलन यह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव का नकारात्मक प्रचार भी चुनावी हवा को भाजपा की ओर मोड़ने में एक अहम कारक रहा। प्रचार के दौरान अखिलेश बार-बार कह रहे थे कि भाजपा सभी सीटें हार रही है और उपचुनाव के बाद योगी को पार्टी दिल्ली बुला लेगी। साफ है कि मतदाता ने इस अनर्गल प्रचार का भी जवाब दिया है। सवाल है कि लोकसभा चुनाव के बाद महज पांच महीनों में ही योगी यूपी की सियासी तस्वीर बदलने में कैसे कामयाब रहे ?
लोकसभा चुनाव के बाद कई सवाल उठ रहे थे कि डबल इंजन की सरकार के रहते ऐसा कैसे हो गया ? योगी सरकार के कामकाज पर भी सवाल उठे, लेकिन लोकसभा चुनाव में हार के बाद योगी नए रूप में नजर आए। उन्होंने उपचुनाव के लिए समग्र रणनीति के साथ जून से ही तैयारी शुरू कर दी थी। यहां तक कि चुनाव का ऐलान होने के पहले ही उन्होंने ज्यादातर सीटों को कवर कर लिया था। हर सीट के मद्देनजर उस विधानसभा क्षेत्र और जिले से जुड़ी तमाम विकास योजनाओं को रफ्तार दी। जुलाई आते-आते ये साफ हो गया था कि यूपी का उपचुनाव योगी की अगुआई में ही भाजपा लड़ेगी। चुनाव सम्बंधी हर बैठक को योगी ही लीड कर रहे थे। उन्होंने अपने वरिष्ठ मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपीं और रणनीति के तहत सीएम ने मंत्रियों और पदाधिकारियों के बीच अटूट समन्वय पर खास जोर दिया। उन्होंने साफ कहा कि पार्टी का कोई भी नेता अपने निर्धारित क्षेत्र में जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में कोई कमी न छोड़े। उपचुनाव जीतना केवल चुनावी सफलता नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की जीत होगी। इसलिए हर सीट पर पूरी ताकत झोंकने पर उन्होंने बल दिया। योगी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बूथस्तर तक चुनाव प्रबंधन को मजबूती से संभालने का मंत्र दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि बूथस्तर पर सटीक प्रबंधन और निगरानी जरूरी है। नेता अपने-अपने क्षेत्र में लोगों के बीच जाकर चौपाल लगाएं। जनता की समस्याओं को समझें, समाधान करें, ताकि लोगों का विश्वास पार्टी में बढ़े। प्रभारी मंत्री और पदाधिकारी उन जिलों में अधिक समय बिताएं जहां उपचुनाव हो रहे हैं। लोगों से सीधा संवाद स्थापित करें, उनकी समस्याओं को सुनें और त्वरित समाधान सुनिश्चित करें। साथ ही जिलों के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ तालमेल बनाकर चुनावी तैयारी करें।
चुनाव प्रचार के दौरान योगी के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ की गूंज चहुं ओर सुनाई दी। यहां तक कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी योगी का यह नारा काफी कारगर साबित हुआ। यूपी में मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर भाजपा ने सपा के खिलाफ एकतरफा जीत दर्ज की है। गत आठ नवंबर को योगी ने पश्चिम यूपी की तीन सीटों को लक्ष्य कर रैली को संबोधित किया था। सीएम ने तंज कसा था कि जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई। उन्होंने इशारों में कह दिया कि लोकसभा चुनाव में खटाखट-खटाखट (कांग्रेस) की सहयोगी रही सपा को फटाफट-फटाफट सफाचट करना है। सीएम ने आमजन से अपील की थी कि हमारे प्रत्याशी को वोट दें और विकास व सुरक्षा का दायित्व हमारे ऊपर छोड़ दें। योगी ने उपचुनाव को लेकर पांच दिन में 13 रैलियां और दो रोड शो किए। गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, मझवां, फूलपुर की जीत बरकरार रखने के साथ अन्य सीटों पर कमल खिलाने को योगी ने खूब पसीना बहाया। इसका सकारात्मक परिणाम आज सामने आ गया।